Saturday, May 4, 2024

विचार

दो धर्मों का झगड़ा नहीं था दिल्ली का हिन्दू विरोधी दंगा, ये नक्सली-जिहादी गठजोड़ का एक प्रयोग था

पुलिस के आरोप पत्रों और निष्पक्ष संस्थाओं की रिपोर्टों से यह समझ में आता है कि एक-एक घटना और हर किरदार पहले से तय था। डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा उनके लिए अवसर था। जब 'कुछ बड़ा' करके दुनिया का ध्यान अपनी तरफ़ खींचा जा सकता था।

‘टिकटॉक के 30 करोड़ लौटा दो’: चीन के लिए नमकहलाली करने वाले और क्या बोलेंगे!

सरकार ने इन एप्स को चीन का होने के कारण ब्लॉक नहीं किया है, बल्कि ये वो एप्स हैं, जो नागरिकों के फोन से उनकी निजी सूचनाएँ चुराते हैं।

सोनिया का चीन से रिश्ता क्या: अजीत भारती का सवाल | Ajeet Bharti on Rajiv Gandhi Foundation scam

कॉन्ग्रेस ने 2008 में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के साथ गुपचुप समझौता किया। इसमें करार किया गया था कि वो हाई लेवल/महत्वपूर्ण...

आत्मनिर्भर प्रदेश से हासिल होगा आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य, टूटेगी चीन की कमर: वॉलेट से साजिशों को जवाब देने का अभियान

आत्मनिर्भर उत्तरप्रदेश रोजगार अभियान अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय उदाहरण बन सकता है। चीन के षड्यंत्र को दिया जा सकता है समुचित प्रत्युत्तर।

हिन्दूघृणा की दुकान है न्यूजलॉन्ड्री: अजीत भारती का वीडियो | Ajeet Bharti on NewsLaundry’s Hinduphobic agenda

सामजिक अपराध को सम्प्रदायिक रंग देकर रिपोर्ट करने और हर बार बिना आधार के किसी हिन्दू या हिंदूवादी संस्था पर आरोप लगाने में न्यूजलॉन्ड्री...

‘राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की है, लोगों को डरने की जरूरत नहीं’ – यूँ शुरू हुआ था दमन का दौर

"गरीबी हटाने" वाली इंदिरा ने लोकतंत्र हटा दिया। आपातकाल इंदिरा गाँधी ने अपनी गद्दी बचाने को सत्ता मोह में लगाया l 'इंदिरा इज इंडिया' को...

दर्द कोरोनिल नहीं, आयुर्वेद है: वामपंथी गैंग को चाहिए गोरों का सर्टिफिकेट, रामदेव से इनका गुर्दा छिल जाता है

बाबा रामदेव ने कोरोनिल क्या लॉन्च की, वामपंथी गैंग बिना सबूत घृणा फैलाने में लग गया। इसकी वजह क्या है?

हिंदू विरोधी और अर्बन नक्सलियों का संरक्षक DU का शिक्षक संघ: वामपंथी दुकान को दक्षिणपंथ की चुनौती

DUTA की संरचना ऐसी है कि यह वामपंथियों के लिए लाभदायक सिद्ध हुई है। इसका फायदा उठाकर वह अंधविरोध की राजनीति पर चलती है।

उद्दंड चीन और कॉन्ग्रेस के बेतुके बोल: वक्त सवाल पूछने का नहीं, सेना और सरकार के पीछे खड़े होने का है

जब चीन का पूरा प्रोपेगेंडा तंत्र भारत के खिलाफ प्रचार में लगा हुआ है, उस समय देश की पार्टियाँ खासकर कॉन्ग्रेस ऐसा करने लगे तो बड़ी हैरत होती है।

क्या वाकई ‘कोरोनिल’ बेचने के​ लिए रामदेव को प्रचार की जरूरत है?

शुक्र मनाइए कि रामदेव बनिया बन गए तो कई मीडिया हाउस चल रहे हैं। जरा मीडिया कंपनी के मालिकों से पूछिए कि नोटबंदी के बाद रामदेव के विज्ञापन का सहारा न होता तो उनका क्या हुआ होता?

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