Friday, April 19, 2024
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जिस युसूफ को ‘दोस्त’ समझते थे उमेश कोल्हे उसने ही निकाला था मौत का फरमान, गला काटने से पहले की गई थी प्रैक्टिस: NIA ने सब कुछ बताया

चार्जशीट के मुताबिक कोल्हे की हत्या 20 जून को ही हुई थी। हत्यारे इंतजार करते रह गए, लेकिन वे नहीं आए। उसके बाद दोबारा से प्लानिंग की गई और मोहम्मद शोएब ने उनके गले पर वार किया।

महाराष्ट्र के अमरवती में उमेश कोल्हे हत्याकांड में तबलीगी जमात का कनेक्शन सामने आने के बाद एक नया खुलासा हुआ है। NIA की चार्जशीट के मुताबिक उमेश के 16 साल पुराने साथी युसूफ ने ही सबसे पहले उमेश का नूपुर शर्मा के समर्थन वाला स्क्रीनशॉट अन्य ग्रुपों में शेयर किया था। हत्या से पहले गला काटने की प्रैक्टिस भी की गई थी। लोगों की मदद के नाम पर चलाई जा रही एम्बुलेंस को सबूतों को छिपाने के लिए इस्तेमाल किया गया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उमेश की हत्या के ‘गुस्ताख़ नबी की एक सजा, सिर तन से जुदा, सिर तन से जुदा’ वाले नारे से प्रभावित थे। जिस व्हाट्सएप ग्रुप में उमेश कोल्हे ने नूपुर शर्मा के समर्थन वाला मैसेज शेयर किया था, उसका नाम ‘ब्लैक फ्रीडम’ था। इसी ग्रुप में उमेश का 16 साल पुराना साथी युसूफ भी था। उमेश कई बार युसूफ की आर्थिक मदद कर चुके थे। युसूफ ने उमेश का वही मैसेज ‘कलीम इब्राहिम’ व्हाट्सएप ग्रुप में भेज कर अंजाम दिखाने की बात कही। इसी ग्रुप में हत्या का एक अन्य आरोपित इरफ़ान खान भी जुड़ा था।

चार्जशीट में बताया गया है कि उमेश को किसी भी हाल में अंजाम तक पहुँचने के लिए युसूफ ने अपने एक अन्य क्लाइंट आतिब रशीद से भी बात की। आतिब ने युसूफ की बातों से सहमति जताते हुए अपने एक और साथी मोहम्मद शोएब को साथ जोड़ा। बाद में ये सभी युसूफ के व्हाट्सएप ग्रुप के साथी इरफ़ान से मिले। उमेश द्वारा नूपुर शर्मा के समर्थन वाला मैसेज एक और व्हाट्सएप ग्रुप ‘हँसी मज़ाक’ में अब्दुल तौफीक शेख ने फॉरवर्ड किया था। इसके चलते ग्रुप मेंबर अब्दुल मुशिफिक अहमद, शेख शकील और मुदस्सिर अहमद भी उमेश से भड़के हुए थे।

रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि उमेश को अंजाम तक पहुँचाने के लिए 4 आरोपितों ने 19 जून 2022 को गौसिया हाल में मीटिंग की थी। इसमें मोहम्मद शोएब ने अपने साथी शमीम अहमद को भी बुलाया था। मीटिंग में उमेश की हत्या का एलान हुआ। कत्ल करने की जिम्मेदारी मोहम्मद शोएब, अतिब रशीद और शमीम अहमद ने ली। इरफ़ान ने इस हत्या में हर तरह की मदद का भरोसा दिया। इरफ़ान ने हमले के वक्त मोबाइल न ले जाने और काले रंग के लिबास में चेहरा ढक कर जाने की सलाह दी।

मीटिंग के बाद आतिब और शोएब उमेश की दुकान भी उसे पहचानने गए थे। पहचान के बाद आरोपितों ने हत्या के लिए जगह का चुनाव किया। तब तक इस गैंग में मुशीफिक अहमद नाम का मौलवी भी जुड़ चुका था। मौलवी भी नूपुर को जेल न भेजे जाने से नाराज था। उमेश की हत्या 20 जून को ही होनी थी। लेकिन मोहम्मद शोएब और शहीम अहमद द्वारा रात में लम्बे इंतज़ार के बाद भी उमेश नहीं आए। इसी के चलते उस दिन उमेश बच गए।

उमेश की हत्या में नाकाम रहने के बाद आरोपितों ने आपस में बात की। इस चर्चा में रेकी करने वाले शाहरुख़, अब्दुल तौफीक भी शामिल थे। तय प्लान के तहत उमेश की हत्या अगले दिन करने की तैयारी की गई। 21 जून को उमेश की रेकी मुदस्सिर अहमद, शाहरुख़ और अब्दुल तौफीक कर रहे थे। शाहरुख़ ने गमछे से चेहरा ढंका था। इस दौरान तीनों मोबाइल से कनेक्टेड थे।

आरोपित शाहरुख़ रहबर NGO में एम्बुलेंस चलाता था। इसी NGO से अब्दुल तौफीक भी जुड़ा है। हत्या के दिन प्लान के तहत कातिल मोहम्मद शोएब, अतिब रशीद और शहीम अहमद ने अपने मोबाइल एम्बुलेंस में रख दिए थे। ऐसा पुलिस को लोकेशन के आधार पर चकमा देने के लिए किया गया था। तीनों रास्ते में उमेश का इंतज़ार कर रहे थे। रात 10:20 पर उमेश जैसे ही दुकान बंद कर घंटाघर पहुँचे वैसे ही कातिलों ने उन्हें रोक लिया और घुटने पर बिठा कर उनका गला काट दिया गया। चार्जशीट में NIA का दावा है कि कत्ल से पहले मोहम्मद शोएब ने गला काटने की प्रैक्टिस भी भी थी। गले पर वार मोहम्मद शोएब ने किया था। फ़िलहाल सभी आरोपित मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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