Sunday, March 2, 2025
Homeदेश-समाजजिसने छोड़ दिया इस्लाम, उस पर भी शरिया कानून क्यों: एक्स मुस्लिम पहुँची सुप्रीम...

जिसने छोड़ दिया इस्लाम, उस पर भी शरिया कानून क्यों: एक्स मुस्लिम पहुँची सुप्रीम कोर्ट, एकलौती बेटी को भी नहीं दे सकती पूरी प्रॉपर्टी

सफिया के पिता भी एक कम्युनिस्ट हैं। सफिया का तलाक हो चुका है। उनके एक 25 वर्ष की बेटी है। सफिया का कहना है कि चाहते हुए भी उनके पिता सम्पत्ति का 50% सफिया को नहीं दे सकते क्योंकि शरिया में मात्र 33% हिस्सा ही बेटी को दिया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट में इस्लामी कानून के हिसाब से विरासत को चुनौती देने वाली सफिया ने महिलाओं के अधिकारों के कई सवाल पूछे हैं। सफिया अपनी बेटी को अपनी पूरी सम्पत्ति देना चाहती हैं लेकिन शरिया उन्हें यह करने की इजाजत नहीं दे रहा है।

सफिया ने अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रास्ता अख्तियार किया है। उनका कहना है कि वह इस्लाम को छोड़ चुकी हैं, ऐसे में उनके निजी मामले संविधान के हिसाब से तय होने चाहिए, ना कि शरिया से।

सुप्रीम कोर्ट ने उनकी इस याचिका को लेकर केंद्र सरकार से जवाब माँगा है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले में एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है। केंद्र सरकार को इस विषय में 4 सप्ताह के भीतर अपना जवाब कोर्ट के सामने रखना होगा।

इस मामले की सुनवाई मई माह में अब होगी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसे एक गंभीर मामला बताया है। वहीं सफिया ने इस बीच महत्वपूर्ण प्रश्न इस्लाम और उसके विरासत को लेकर नियमों पर उठाए हैं।

केरल के अलप्पुझा की रहने वाली सफिया पी एम जन्म से मुस्लिम थीं। लेकिन उन्होंने कुछ वर्षों पहले इस्लाम छोड़ दिया था और ‘एक्स मुस्लिम ऑफ़ केरल’ नाम के एक संगठन की सदस्यता ले ली थी। सफिया का कहना है कि वह इस्लाम में अब विश्वास नहीं रखतीं।

सफिया के पिता भी एक कम्युनिस्ट हैं। सफिया का तलाक हो चुका है। उनके एक 25 वर्ष की बेटी है। सफिया का कहना है कि चाहते हुए भी उनके पिता सम्पत्ति का 50% सफिया को नहीं दे सकते क्योंकि शरिया में मात्र 33% हिस्सा ही बेटी को दिया जा सकता है।

सफिया का कहना है कि वह जब इस्लाम में विश्वास नहीं रखती तो उनके विरासत के मामले क्यों इससे तय किए जाए। उनका कहना है कि इसी शरिया के चलते वह अपनी बेटी को भी अपनी पूरी सम्पत्ति नहीं दे सकतीं।

इस बात को लेकर भी सफिया ने प्रश्न उठाए हैं कि क्यों सम्पत्ति का बाकी हिस्सा रिश्तेदारों को दिया जाना चाहिए, जबकि कोई ऐसा ना करना चाहता हो। सफिया का कहना है कि इस्लाम छोड़ने के बाद तो किसी को सम्पत्ति का कोई हिस्सा ही नहीं मिल सकता।

उन्होंने मीडिया से कहा, “मुस्लिम पर्सनल लॉ महिलाओं के प्रति भेदभावपूर्ण है और यह संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। जिस व्यक्ति ने मजहब त्याग दिया है, उसके उत्तराधिकार के मामले भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम से तय हों।”

सफिया ने समान नागरिक संहिता (UCC) का भी समर्थन किया है। सफिया ने कहा कि अगर इस कानून से महिलाओं के अधिकार सुरक्षित होते हैं तो वह इसकी पूरी तौर से समर्थक हैं। सफिया के इस मामले ने शरिया कानून की बंदिशों को एक बार फिर सामने ला दिया है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

केरल में महिला RJ ने की आत्महत्या, हॉस्टल में पंखे से लटकी मिली लाश: सुसाइड नोट में लिखा, ‘अपनी मर्जी से दे रही हूँ...

ऐश्वर्या इंटर ध्वनि मीडिया एकेडमी में रेडियो जॉकी थी और केरल मीडिया एकेडमी से पीजी डिप्लोमा भी कर रही थी।

‘अकेले में लगाता था जबरन गले, गंदे ढंग से छूता था’: 22 साल की महिला ने पादरी बजिंदर पर लगाया यौन उत्पीड़न का आरोप,...

पंजाब के कपूरथला में 22 साल की एक महिला ने पादरी बजिंदर सिंह पर उसकी किशोरावस्था में यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई है।
- विज्ञापन -