मुख़्तार अंसारी एक ऐसा नाम है, जो सिर्फ पूर्वांचल ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में खौफ का एक पर्याय बन बैठा था। पूरे उत्तर भारत में लोग उसके नाम से अब उसे पहचान जाते हैं, लेकिन अब इसका कारण उसका खौफ नहीं है। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से जिस तरह ‘डॉन’ कहे जाने वाले इस माफिया की घिग्घी बँधी हुई है और जिस तरह उसे बचाने के लिए पंजाब की कॉन्ग्रेस सरकार ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया, उससे उसका नाम मीडिया में लगातार बना रहा।
योगी राज में पूर्वांचल के इस माफिया के हश्र की बात करेंगे, लेकिन उससे पहले ये जान लीजिए कि कैसे इसने सैकड़ों करोड़ के अपने साम्राज्य को हत्या और फिरौती के बल पर खड़ा किया। असल में वो मुख़्तार अहमद अंसारी का पोता है, जो 1927 में ‘भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस (INC)’ के अध्यक्ष भी रहे थे। उसके भाई अफजल अंसारी गाजीपुर से सांसद हैं। एक अन्य सिबकातुल्लाह अंसारी भी विधायक रहे हैं। एक दशक तक भारत के उप-राष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी इसी परिवार से आते हैं।
पूर्वांचल में मुख़्तार अंसारी ने कैसे खड़ा किया अपराध का साम्राज्य
पूर्वांचल जैसे पिछड़े इलाके में 70 के दशक में स्थिति ये थी कि सरकार की हर एक परियोजना को लपकने के लिए एक से बढ़ कर एक आपराधिक गिरोह और माफिया तैयार बैठे थे। सरकारी ठेके के लिए खून बहाने का दौर शुरू हो चुका था। 5वीं बार मऊ से विधाक बने इस माफिया पर आज हत्या, हत्या के प्रयास, हथियारबंद तरिके से दंगे भड़काने, आपराधिक साज़िश रचने, आपराधिक धमकियाँ देने, संपत्ति हड़पने के लिए धोखाधड़ी करने, सरकारी काम में व्यावधान पहुँचाने और जानबूझकर चोट पहुँचाने जैसे 16 मामले दर्ज हैं।
एक समय ऐसा था जब इस गैंगस्टर पर 30 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है भाजपा के विधायक कृष्णानंद राय की हत्या की घटना। वह 29 नवंबर 2005 का दिन था, जिसे गाज़ीपुर वाले आज भी ‘ब्लैक डे’ कहते हैं। कृष्णानंद राय मुहम्मदाबाद से विधायक थे। वह पिछली केंद्र सरकार में 5 वर्षों तक मंत्री रहे मनोज सिन्हा के क़रीबी भी थे। वही मनोज सिन्हा, जिन्हें गाज़ीपुर से हरा कर मुख़्तार अंसारी का भाई अफ़ज़ल अंसारी इस वर्ष सांसद बना है।
शासन से बेख़ौफ़ हत्यारों ने 400 राउंड गोलियाँ चलाईं थीं। घटना के बाद पोस्टमॉर्टम के दौरान मृतकों के शरीर से 67 गोलियाँ निकाली गईं। इतनी ज्यादा संख्या में बुलेट अंदर धँसने के बाद शायद ही कोई ज़िंदा बचे, वो भी तब जब ये गोलियाँ एके-47 दागी गई हों। योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में STF के एनकाउंटर में हनुमान पांडेय उर्फ़ राकेश पांडेय मारा गया, जिसने इस गोलीबारी को अंजाम दिया था। उसने ही मुख़्तार अंसारी के इशारे पर 29 नवंबर, 2005 को करीमुद्दीन इलाके में स्थित सोनाड़ी गाँव में एक स्टीकेट मैच का उद्घाटन करने पहुँचे भाजपा विधायक कृष्णनंदन राय की हत्या की थी।
मुख़्तार अंसारी सबसे पहले बसपा के टिकट पर विधायक चुना गया था। उसने पिछले तीन चुनाव जेल से ही जीते हैं, ये है उसके क्षेत्र में उसके लिए मुस्लिमों के ध्रुवीकरण और खौफ का प्रभाव। 80 के दशक में उसका एक अन्य माफिया बृजेश सिंह के साथ गैंगवार शुरू किया था। मऊ, जौनपुर, बलिया और वाराणसी तक उसने अपनी धाक जमा ली थी। अफीम की खेती के लिए कुख्यात रहे इस इलाके में कई युवाओं को उसने अपराध की दुनिया में धकेला। गाजीपुर के युसुफपुर में इसका पैतृक निवास ‘बड़का फाटक’ कभी 4 जिलों की राजनीति का अड्डा हुआ करता था।
2009 में मुख़्तार अंसारी के खिलाग 48 FIR दर्ज थे। मऊ में ठेकेदार अजय प्रकाश सिंह की हत्या के मामले में भी उसका नाम सामने आया। इस हत्याकांड के गवाह की भी हत्या कर दी गई। इसी तरह कृष्णानंद राय हत्याकांड के गवाह की भी संदिग्ध स्थिति में मौत हो गई थी। रईस घराने के मुख़्तार अंसारी के पिता कम्युनिस्ट नेता हुआ करते थे। मुख़्तार अंसारी का भाई अफजल अंसारी भी 5 बार विधायक और 2 बार के सांसद हैं। मुख़्तार अंसारी को मायावती ने कभी बसपा से निकाल दिया था।
योगी सरकार में मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश आने में भी लग रहा था डर
पंजाब के जेल में बंद मुख़्तार अंसारी उत्तर प्रदेश आने में डर रहा था, क्योंकि उसे पुलिस एनकाउंटर का भय सता रहा था। वहाँ से जब उसे यहाँ के जेल में स्थानांतरित करने के लिए जाया जा रहा था, तब उसने रास्ते में कुछ भी खाया-पिया नहीं और उसका चेहरा डर के मारे सूजा रहा। हाँ, पंजाब की कॉन्ग्रेस सरकार ने ज़रूर उसे बचाने के लिए दिन-रात एक कर दिया था। मामला अदालत तक पहुँच गया। आखिरकार उसे बाँदा के के जेल में स्थानांतरित करने में योगी सरकार सफल हुई।
तब प्रियंका गाँधी को लिखे गए पत्र में दिवंगत विधायक कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय ने कहा था, “आपसे मुझे शोक के साथ कहना पड़ रहा है कि आपके नेतृत्व में पंजाब और राजस्थान की सरकार ने मेरे पति के हत्यारे कुख्यात अपराधी मुख्तार अंसारी और उसके इनामिया बेटे अब्बास अंसारी को राज्य अतिथि का दर्जा दे रखा है। इसका प्रमाण है अखबार में छपी तस्वीरें, जिससे स्पष्ट है कि सरकारी संरक्षण में राजस्थान सरकार ने मुख्तार के इनामिया बेटे अब्बास की धूमधाम से शादी कराई।”
अब ये जान लीजिए कि कैसे योगी सरकार के अंतर्गत मुख़्तार अंसारी की सैकड़ों करोड़ रुपए की संपत्ति न सिर्फ कुर्क की गई है, बल्कि उसके कई दुकानों और संपत्तियों को बुलडोजर चला कर ध्वस्त भी किया गया है। उसकी लगभग 300 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त/जमींदोज की जा चुकी है। उसके गिरोह के 100 से अधिक अपराधी जेल के भीतर हैं अब। वहीं लगभग 75 हथियारों के लाइसेंस भी रद्द किए जा चुके हैं। अफजल अंसारी अब परिवार को योगी सरकार से खतरे की बातें करते हैं।
हाल ही में गाजीपुर के महुआबाग स्थित मुख्तार अंसारी की पत्नी आफशा अंसारी के गजल होटल के नीचले मंजिल पर बने 17 दुकानों को कुर्क किया गया। उससे पहले उसके एक करीबी के कब्जे से 0.091 हेक्टेयर भूमि छुड़ाई गई। इससे पहले अंसारी के करीबी कोयला माफिया एवं त्रिदेव कंस्ट्रक्शन के मालिक उमेश सिंह का भीटी में 10 करोड़ रुपए की लागत से बना चार मंजिला मकान बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया था। मुख्तार अंसारी का शॉर्प शूटर रहा अली शेर मारा गया।
कभी लोगों के दिल में खौफ बन कर बैठे मुख़्तार अंसारी के दिमाग में डर का आलम अब ये है कि यूपी लाए जाने से पहले उसने कोर्ट में वर्चुअल पेशी के दौरान अपनी हत्या की आशंका जाहिर की थी। उसे खाने में जहर देकर मारे जाने का डर था। विधानसभा के पास उसकी करोड़ों की संपत्ति जब्त हुई। 66 करोड़ रुपए के लोन डकारने वाला उसका गुर्गा शकील हैदर गिरफ्तार हुआ। अगस्त 2021 में लगभग 2 करोड़ 18 लाख रुपए मूल्य की संपत्ति की कुर्की की गई।
उसके करीबी नन्हे खान की 53 लाख रुपए की संपत्ति जब्त की गई। पुलिस ने उसे गिरफ्तार भी किया। जेल के अंदर मुख्तार अंसारी के 2 गुर्गों मेराज और मुकीम की हत्या हो गई। पंजाब से यूपी स्थानांतरण में उसका डर ये था कि आँखों से लेकर गले तक वो अदालत को रोज नई बीमारियाँ बताता फिरता था। उसकी विधानसभा सदस्यता रद्द कराने की कोशिश भी शुरू हुई। यूपी आने के डर से वो दिन में एक बार ही खाना खाने लगा था। वो व्हीलचेयर पर आ गया था।
There was a time when entire UP was scared to speak against gangster Mukhtar Ansari
— Mahesh Vikram Hegde 🇮🇳 (@mvmeet) August 4, 2021
But now Yogi ji has made him & his goons nothing less than jokers
Watch how Ansari’s family’s property worth Rs 3 crore has been attached pic.twitter.com/U7rqm7LzCC
ये भी जान लीजिए कि मुख़्तार अंसारी के खिलाफ कार्रवाई करने वाले अधिकारियों को किस तरह सपा-बसपा शासनकाल में डराया जाता था। जनवरी 2004 में शैलेन्द्र कुमार सिंह यूपी STF की वाराणसी यूनिट के प्रभारी डिप्टी एसपी थे। उन्होंने मुख़्तार अंसारी के ठिकाने से LMG बरामद की थी, जिसके बाद तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार ने उन्हें प्रताड़ित किया। उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। उनके खिलाफ FIR दर्ज करा दी गई। वह जब जेल गए तो योगी आदित्यनाथ ने उनके परिवार को फोन करके कहा था, ‘जब मैं आऊँगा तो न्याय करूँगा।’ योगी सरकार में उन पर दर्ज फर्जी मुक़दमे वापस हुए।
मुख़्तार अंसारी के बीवी और बेटों के पासपोर्ट भी जब्त करने के आदेश न्यायपालिका ने दे दिए हैं। उसके परिवार को फायदा पहुँचाने वाले दो IAS अधिकारियों को योगी सरकार ने हटाया। विधायक मुख्तार अंसारी के नज़दीकी मोहम्मद आज़म ने अपना अवैध निर्माण खुद ही ध्वस्त कर दिया। अंसारी गैंग के मेराज़ तथा मऊ में ईसा खान के गैर कानूनी इमारतों पर बुलडोज़र चला, जिसकी कीमत 20 करोड़ रुपए थी। मुख़्तार अंसारी की पत्नी, जिन पर खुद कई मामले दर्ज हैं, उन्होंने राष्ट्रपति को पत्र लिख कर संरक्षण माँगना शुरू कर दिया।
इसी तरह मुख़्तार अंसारी के करीबी आजम की संपत्ति पर UP पुलिस का बुलडोजर चला, जिसने गंगा किनारे ₹70Cr में अवैध अस्पताल बनवाया था। गाजीपुर में ‘मुख़्तार अंसारी का ताजमहल’ कहे जाने वाले उसके गजल होटल को ध्वस्त कर दिया गया। संपत्ति कब्जा के आरोप में अफजल अंसारी की बीवी फरहत पर FIR हुई। उसके गिरोह के रजनीश सिंह की 39 लाख रुपए की संपत्ति जब्त की गई। साढ़े 4 करोड़ की उसकी गाड़ियाँ जब्त हुईं। उसके बेटों को अपराधी घोषित किया गया।