Thursday, March 28, 2024
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दम तोड़ रहा है शाहीन बाग: खाली पंडाल में कैमरा देख औरतों ने बजाया हूटर, दौड़ते आए मर्द

विडियो में देख सकते हैं कि प्रदर्शनकारी महिला पत्रकार से बाहर जाने को कह रहे हैं। जुमा का हवाला देकर लोग नहीं होने की बात कह रहे हैं। पुरुषों को भी लगातार हस्तक्षेप करते और ये कहते सुना जा सकता है कि अगर भीड़ देखनी है तो 11 बजे के बाद प्रदर्शनस्थल पर आएँ।

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के ख़िलाफ़ शाहीन बाग में चल रहा निराधार विरोध-प्रदर्शन किसी तरह साँसे ले रहा है। वहाँ प्रदर्शनकारी महिलाओं की संख्या हर दिन कम होती जा रही है। ताजा जानकारी के अनुसार तो वहाँ पंडाल खाली पड़ा है। ​इंडिया टीवी के एक पत्रकार के अनुसार शुक्रवार की सुबह वहॉं केवल 19 महिलाएँ ही थीं। प्रदर्शनस्थल को देखकर लगता है कि वहाँ पर सबका जोश शायद शांत हो गया। मगर इस शांति के साथ ही वहाँ हूटर सिस्टम का खुलासा हुआ है। इसका प्रयोग मीडिया को देख औरतें पुरुषों को बुलाने के लिए करती हैं।

जानकारी के अनुसार, इंडिया टीवी की टीम आज सुबह प्रदर्शन को कवर करने शाहीन बाग पहुँची। वहाँ चैनल की महिला पत्रकारों ने देखा कि ज्यादा भीड़ नहीं है। वह प्रदर्शन को कवर करने के लिए लाइव करते हुए सीधे अंदर चली गईं। कैमरे को देखते ही प्रदर्शनस्थल पर मौजूद गिनती की महिलाओं के बीच हड़कंप मच गया। उन्होंने झट से हूटर बजाया और फिर कुछ मर्द वहाँ पहुँच गए।

इंडिया टीवी के पत्रकार सुशांत सिन्हा के अनुसार, इन पुरुषों ने महिला पत्रकारों को डराने के लिए बदसलूकी की। लेकिन फिर भी वे रिपोर्ट करते रहे। महिला पत्रकारों ने बिना डरे शाहीन बाग का सच दर्शकों के सामने रखा और साथ ही इस हूटर सिस्टम का खुलासा भी इन्हीं महिला पत्रकारों की बदौलत हुआ।

पत्रकार सुशांत सिन्हा ने इस वाकये को सोशल मीडिया पर शेयर किया है। इसके अलावा मीनाक्षी जोशी की रिपोर्ट देखने से पता चलता है कि जुमे का हवाला देकर उन्हें प्रदर्शनस्थल से लगातार चले जाने के लिए कहा जा रहा है। इसके जरिए दम तोड़ रहे विरोध-प्रदर्शन की सच्चाई को छिपाने की कोशिश की गई।

विडियो में देख सकते हैं कि वहाँ मौजूद लोग लगातार महिला पत्रकार को बाहर जाने को कह रहे हैं। जब वह 82 दिन से जारी प्रदर्शन का हवाला देकर कहती हैं कि इस बीच में कई बार जुमे आए, लेकिन उन्हें शाहीन बाग खाली नहीं दिखा, तो फिर आज क्यों? इस पर वहाँ मौजूद औरतें उन्हें समझाने लगती है। वे अपनी कम संख्या जस्टिफाई करने के लिए कहती हैं कि आज जुमा है, नमाज पढ़ने के लिए उन्हें नहाना-धोना होता है, क्या उसमें टाइम नहीं लगेगा। विडियो में पुरुषों को भी लगातार हस्तक्षेप करते देखा जा सकता है और ये भी सुना जा सकता है कि अगर इंडिया टीवी को भीड़ देखनी है तो वो 11 बजे के बाद प्रदर्शनस्थल पर आएँ।

इस विडियो से पता चलता है कि आखिर किस तरह से एक महिला पत्रकार को प्रदर्शनस्थल की रिपोर्टिंग करने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी। किस तरह सवालों के बदले उनसे सवाल किए गए और किस तरह बुजुर्ग महिला से लेकर पुरुष तक उनपर हावी होने की कोशिश करते रहे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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