Thursday, March 28, 2024
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क्या केंद्र ने रोक दी केजरीवाल सरकार की गरीबों के लिए मुफ्त राशन वितरण योजना? तथ्यों के साथ जानें पूरा सच

भारत सरकार ने केजरीवाल सरकार के इन आरोपों का खंडन किया और कहा कि उन्होंने दिल्ली सरकार को अपनी इच्छानुसार राशन वितरित करने से नहीं रोका है।

अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने 5 जून को, केंद्र सरकार पर राशन की डोर-टू-डोर डिलिवरी के प्रस्ताव को खारिज करने का आरोप लगाया। आम आदमी पार्टी ने आधिकारिक अकाउंट्स से कई ट्वीट करते हुए केंद्र सरकार पर हमला बोला। ट्वीट में दिल्ली सरकार ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल ने केंद्र सरकार से मंजूरी न मिलने जैसे बहाने बनाकर प्रस्ताव को खारिज कर दिया।

आप ने दावा किया कि केंद्र सरकार मंजूरी न मिलने की आड़ में गरीबों को मुफ्त राशन देने से इनकार कर रही है।

आप ने दावा किया कि केजरीवाल दशकों से राशन माफिया के खिलाफ ‘लड़ाई’ लड़ रहे थे और मोदी सरकार उन्हें रोक नहीं सकती। बता दें कि आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक और समाज कल्याण मंत्री संदीप कुमार पर राशन कार्ड के लिए सेक्स रैकेट में शामिल होने का आरोप लगा था। एक सेक्स टेप में महिला ने आरोप लगाया था कि आप नेता ने राशन कार्ड देने के बहाने उसका यौन शोषण किया था।

आप ने पीएम मोदी पर आरोप लगाया और सवाल किया कि ‘राशन माफिया’ के साथ उनकी ‘सेटिंग’ क्या है जिसके कारण वह दिल्ली सरकार की राशन योजना को लागू नहीं होने दे रहे हैं।

‘दिल्ली सरकार को राशन बाँटने से किसी ने नहीं रोका’

भारत सरकार ने केजरीवाल सरकार के इन आरोपों का खंडन किया और कहा कि उन्होंने दिल्ली सरकार को अपनी इच्छानुसार राशन वितरित करने से नहीं रोका है। केंद्र सरकार के सूत्रों ने कहा कि राज्य को किसी भी योजना के तहत खाद्यान्न वितरित करने का अधिकार है। राज्य द्वारा माँगे जाने पर भारत सरकार वितरण के लिए अतिरिक्त राशन भी प्रदान करती है।

एलजी (लेफ्टिनेंट गवर्नर) ने योजना को केवल पुनर्विचार के लिए लौटाया है, न कि ‘अस्वीकार’ किया है, जैसा कि दिल्ली सरकार द्वारा बताया जा रहा है। इसके अलावा, एलजी कार्यालय ने कहा कि चूँकि अनुमोदन खाद्य वितरण की दिशा को बदलने का प्रयास करता है, ऐसे में इसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अनुसार केंद्र सरकार की मँजूरी के बाद ही लागू किया जा सकता है।

सूत्रों के अनुसार, दिल्ली सरकार ने एनएफएसए का अपना सारा कोटा यानी 37,400 मीट्रिक टन अनाज उठा लिया है और उसका 90% वितरित भी कर दिया है। इसके अलावा, सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत 63,200 मीट्रिक टन राशन उठाया, जो मई में आवंटित अनाज का 176% है। राज्य ने इसका 73% वितरण किया है।

भारत सरकार अनुरोध पर अतिरिक्त राशन प्रदान करती है

भारत सरकार अनुरोध करने पर राज्य को अतिरिक्त राशन प्रदान करती है। दिल्ली के मामले में, भारत सरकार वितरण के लिए दिल्ली को अतिरिक्त राशन देने के लिए तैयार है, और दिल्ली सरकार इसे अपनी इच्छानुसार वितरित करने के लिए स्वतंत्र है। सूत्रों ने कहा, ”भारत सरकार नागरिकों को सरकार की किसी भी कल्याणकारी योजना से वंचित क्यों करेगी? राशन वितरित करने की किसी भी योजना को कोई भी नाम दीजिए, और भारत सरकार अतिरिक्त राशन प्रदान करेगी।” हालाँकि, एनएफएसए के तहत मौजूदा अखिल भारतीय योजना को बाधित करने की कोई जरूरत नहीं है।

भारत सरकार किसी भी राज्य के साथ भेदभाव नहीं करती है। यह एक समान राष्ट्रीय अधिनियम के तहत देश के सभी राज्यों के साथ समान व्यवहार करती है। ध्यान देने वाली बात ये है कि, दिल्ली सरकार अनाज वितरण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रशासित कार्यक्रम को सँशोधित करना चाहती है और पिसाई इत्यादि का खर्च दिल्ली के उपभोक्ताओं पर डालना चाहती है। केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को केवल नियम की स्थिति के बारे में सूचित किया।

दिल्ली सरकार ONORC के तहत लाभ प्रदान करने में विफल रही

सरकार के सूत्रों ने बताया कि दिल्ली सरकार भारत सरकार द्वारा कई बार याद दिलाने के बावजूद दिल्ली में वन नेशन वन राशन कार्ड (ONORC) योजना को लागू करने में विफल रही। यदि इसे ठीक से लागू किया जाता, तो इससे दिल्ली में एक लाख से अधिक प्रवासी श्रमिकों की मदद हो सकती थी, वह भी दिल्ली के बजट में बिना किसी अतिरिक्त लागत के, क्योंकि राशन राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत आवंटित किया गया था।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (GNCTD) ने 2018 में, लगभग 2000 उचित मूल्य की दुकानों (FPS) में EPOS (इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल) मशीनों के उपयोग को सस्पेंड कर दिया। केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई कई दौर की बातचीत के बाद, आप के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने अब इसे फिर से दुकानों पर स्थापित कर दिया है। हालाँकि, अब भी उनमें से ज्यादातर ऑनलाइन पीडीएस ट्रांजैक्शन के लिए पूरी तरह काम नहीं कर रहे हैं। सूत्रों ने कहा, ”यह सीधे तौर पर एनएफएसए और पीएमजीकेए के तहत पारदर्शिता और सही काम के लक्ष्यों को कमजोर करता है। जबकि पीडीएस लेनदेन के आधार प्रमाणीकरण का राष्ट्रीय औसत लगभग 80 प्रतिशत है, जबकि यह दिल्ली में शून्य है। यह सीधे तौर पर दिल्ली में लाखों प्रवासियों को पोर्टेबिलिटी के लाभों से वँचित करता है और साथ ही खाद्यान्न के इधर-उधर होने को बढ़ावा देता है।”

अब चूँकि दिल्ली में ईपीओएस का ठीक से उपयोग ही नहीं किया जाता है, तो भारत सरकार को दैनिक आधार पर खाद्यान्न वितरण डेटा नहीं मिल पाता है, जो राशन आवंटन में बाधा उत्पन्न करता है। दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्य न केवल ईपीओएस प्रणाली का उपयोग कर रहे हैं बल्कि टीपीडीएस और पीएमजीकेएवाई के तहत 95% से अधिक आधार प्रमाणित ट्रांजैक्शन कर रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा जैसे राज्यों ने अपने एफपीएस पर 100% ईपीओएस मशीनें लगा दी हैं, जिससे केंद्र सरकार के लिए रियल टाइम में एनएफएसए खाद्यान्न वितरण की निगरानी करना आसान हो गया है। सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार का खाद्य विभाग इन मुद्दों पर केंद्र सरकार की बातचीत के प्रति सक्रिय और सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है।

‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ असली समाधान है

भारत सरकार ने दिल्ली सरकार द्वारा लगाए गए आरोपों का स्पष्ट खंडन किया और उन्हें निराधार बताया। भारत सरकार ने डोरस्टेप डिलीवरी की प्रस्तावित राज्य योजना को अवरुद्ध नहीं किया है। सूत्रों ने कहा, ”एनएफएसए के तहत शामिल सभी सही लाभार्थियों और प्रवासियों के लाभ के लिए और दिल्ली राज्य में पीडीएस के कामकाज को परिष्कृत करने के लिए यहाँ वन नेशन वन राशन कार्ड (ओएनओआरसी) योजना को लागू करना ही असली समाधान है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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