Friday, May 9, 2025
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पहलगाम नरसंहार, भारत की 9 स्ट्राइक, ढाई मोर्चा और जम्मू पर पाकिस्तान का हमला… जानिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में कब क्या हुआ, कैसे युद्ध के मुहाने पर पहुँचे दोनों देश

इन निशानों में JeM के 4, LeT के 3 और हिज़्बुल मुजाहिद्दीन के 2 ठिकाने शामिल थे। इनमें से 4 पाकिस्तान में थे, जबकि 5 पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में जो हिस्सा तो भारत का ही है लेकिन पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा रखा है।

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कोई नई बात नहीं है, देश के स्वतंत्र होने के साथ ही भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध का कारण जम्मू कश्मीर बना था। पाकिस्तान जब सीधे युद्ध से जीत नहीं पाया तो उसने जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा दिया पाकिस्तान ने भारत में एक के बाद एक आतंकी हमले किए। 2008 में मुंबई में 26/11 के हमले में 166 जानें ले लीं। भारत डोजियर पर डोजियर देता रहा,वैश्विक मंच पर कोई भाव नहीं मिला। उधर पाकिस्तान की हिम्मत और बढ़ती ही चली गई।

इस पैटर्न में शिफ्ट तब देखने को मिला, जब सितंबर 2016 में उरी में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक किया गया। पाकिस्तान को एक बार और सबक सिखाया गया फरवरी 2019 में पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद। उरी में हमारे 19 जवान बलिदान हुए थे, पुलवामा में 40 जवानों का बलिदान हुआ। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक किया। पाकिस्तान को बता दिया गया कि अब भारत की भूमि को लहूलुहान किया जाएगा तो हम भी चुप बैठने वालों में से नहीं हैं।

इसके बावजूद पाकिस्तान पोषित आतंकियों ने 22 अप्रैल, 2025 को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला किया। धर्म पूछ-पूछकर 26 पर्यटकों को मार डाला गया। पूरे देश में आक्रोश की लहर दौड़ गई। जम्मू कश्मीर में कारोबार ठप्प होने लगा। वहाँ हुए शांतिपूर्ण चुनाव और सरकार गठन से बौखलाए आतंकियों की इस करतूत के बाद भारत ने भी ठान लिया कि इस बार ऐसा जवाब दिया जाएगा कि दुश्मन फिर से ऐसी हिमाकत करने की सोचे भी नहीं। ऐसा हुआ भी। भारत के जवाब के बारे में जानेंगे, लेकिन उससे पहले आइए जानते हैं कि पहलगाम में क्या हुआ।

पहलगाम में क्या हुआ था, कैसे धर्म पूछ-पूछकर मारा

जम्मू कश्मीर का पहलगाम वो जिला है, जहाँ अमरनाथ धाम है, जहाँ बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए यात्रा शुरू होती है। यहाँ की बैसरन घाटी पर्यटकों के आकर्षण का एक मुख्य केंद्र है। 22 अप्रैल के दिन भी यहाँ बड़ी संख्या में पर्यटक मौजूद थे। कई घोड़े से यात्रा कर रहे थे। इसी दौरान भीड़ में आतंकी घुस गए और इन सबको फ़ूड कोर्ट की तरफ ले गए। वहाँ से एग्जिट का रास्ता संकरा था। आतंकियों ने हिन्दुओं और मुस्लिमों को अलग-अलग किया, पैंट खोल-खोलकर चेक किया कि खतना हुआ है या नहीं – फिर मारा। महिलाओं को जीवित छोड़कर कहा गया, “जाओ, मोदी से बता देना।”

NIA इस मामले की जाँच कर रही है। शेख सज्जाद गुल को इस घटना के मास्टरमाइंड के रूप में चिह्नित किया गया। वो लश्कर-ए-तैय्यबा के मुखौटे ‘द रजिस्टेंस फोर्स’ का कमांडर है। TRF ने इस हमले के तुरंत बाद इसकी जिम्मेदारी ले ली थी, लेकिन भारत के सख़्त रवैये को देखते हुए इसने अपना बयान वापस ले लिया था। शेख बेंगलुरु से MBA कर चुका है। कई स्थानीय लोगों के भी आतंकियों से मिले होने की बात सामने आई। हाशिम मूसा इस आतंकी हमले में शामिल था, जो दक्षिणी कश्मीर के जंगलों में अब भी छिपा हुआ है।

पहलगाम में हमला करने वाले आतंकियों ने AK47 राइफल और M4 कार्बाइन रखे हुए थे। वो मिलिट्री यूनिफॉर्म में थे। मृतकों में कई ऐसे थे, जो नई-नई शादी के बाद हनीमून के लिए यहाँ पहुँचे थे। पहलगाम हमले में मारे जाने वालों में महाराष्ट्र के 6, गुजरात व कर्नाटक के 3, पश्चिम बंगाल व मध्य प्रदेश के 2 पर्यटक शामिल थे। इनके अलावा आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, केरल, ओडिशा और उत्तर प्रदेश के एक-एक पर्यटक शामिल थे। अनुच्छेद-370 और 35A को निरस्त कर जम्मू कश्मीर व लद्दाख को अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने के बाद ये सबसे बड़ा आतंकी हमला था।

‘ऑपरेशन सिंदूर’: पाकिस्तान में घुसकर भारत ने दिया करारा जवाब

पहलगाम में हुए भयानक आतंकी हमले के 13 दिनों बाद भारत ने बुधवार (6 मई, 2025) की रात पाकिस्तान में 9 ठिकानों पर मिसाइलें दागीं। इनमें PoK (पाक अधिकृत कश्मीर) के अलावा पाकिस्तान के भीतर के कई इलाक़े भी शामिल थे। इस कार्रवाई को उन महिलाओं के सम्मान में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया, आतंकियों ने जिनके सुहाग उजाड़े थे। भारतीय संस्कृति में सिंदूर का महिलाओं के लिए विशेष महत्व है, विवाहित स्त्रियों के लिए ये सुहाग की सुरक्षा का प्रतीक है। विवाह कार्यक्रम भी सिंदूर के बिना पूरा नहीं होता। इसीलिए, भारतीय महिलाओं के सम्मान में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया।

अब आपको बताते हैं कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत किन-किन ठिकानों को निशाना बनाया गया। पाकिस्तान ने इसे ‘अकारण’ हुआ हमला बताया। वहाँ के प्रधानमंत्री ने इसे जघन्य अपराध बताते हुए धमकाया कि बिना दण्डित किए नहीं छोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को ऐसे अपराध के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है जो उसने किया ही नहीं। भारत की कार्रवाई रात के समय 2 बजे के आसपास शुरू हुई और लगभग आधे घंटे तक चली। पाकिस्तानी हुक्मरान बैठकों के लिए सुबह का इंतजार करते रहे। पाकिस्तान ने 31 आम नागरिकों के मारे जाने का दावा किया, भारत ने 2 दिन बाद स्पष्ट कर दिया कि 100 आतंकियों को मार गिराया गया है।

पाकिस्तान ने 5 भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराने का दावा किया। हालाँकि, ये झूठा साबित हो गया क्योंकि ख़ुद उसके पीएम ने माना था कि भारतीय विमानों ने सीमा पार ही नहीं किया। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री से जब CNN पर सबूत माँगा गया तो उन्होंने सोशल मीडिया का नाम लिया। परिणामस्वरूप उन्हें एंकर से बेइज्जत होना पड़ा। भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में उन ठिकानों को निशाना बनाया जहाँ आतंकियों को प्रशिक्षण मिलता था, जहाँ से भारत में हमलों की साजिशें रची जाती थीं।

कौन से 9 ठिकाने, जिन्हें भारतीय मिसाइलों ने कर दिया तबाह

आइए, अब आपको बताते हैं कि वो कौन-कौन से 9 ठिकाने थे, जहाँ भारत की मिसाइलों ने आतंकियों को तबाह किया। इनमें प्रमुख है बहावलपुर का मरकज़ सुभान अल्लाह मस्जिद। ये जमात-ए-इस्लामी का मुख्यालय था। यहीं से पुलवामा हमले की साजिश रची गई थी। आतंकी मौलाना मसूद अज़हर यहीं रह रहा था। इस हमले में उसके परिवार के 10 लोग और 4 सबसे करीबी सहयोगी मारे गए। 18 एकड़ में फैले इस परिसर में आतंकी सरगना अपने परिवार वालों को भी साथ रखते थे। उसकी बहन, बहनोई, बीवी, भतीजा, भांजा और भाई ढेर हुए। मसूद अज़हर कहने लगा कि काश वो भी इस हमले में मारा जाता। ये वही मसूद अजहर है जिसे छुड़ाने के लिए पाकिस्तानी आतंकियों ने दिसंबर 1999 में भारत के विमान एयर इंडिया IC814 को हाईजैक किया था।

बहावलपुर की स्ट्राइक इसीलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पाकिस्तान की सीमा में 100 किलोमीटर भीतर घुसकर इसे अंजाम दिया गया। हमले का दूसरा ठिकाना बना पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के मुरीदके स्थित मरकज़ तैबा। अंतरराष्ट्रीय सीमा में 25 किलोमीटर भीतर स्थित यही वो जगह है जहाँ 26/11 मुंबई हमले के आतंकियों को ट्रेनिंग दी गई थी। इसके निर्माण के लिए अलकायदा के संस्थापक ओसामा बिन लादेन ने भी 1 करोड़ रुपए दिए थे। अमेरिका ने ऐब्टाबाद में घुसकर लादेन को मार कर 2001 के 9/11 हमले का बदला लिया और उसकी लाश को समुद्र में दफ़न कर दिया। मरकज़ तैबा में 1000 से अधिक छात्रों को रखा गया था और उनका ब्रेनवॉश किया जा रहा था। अजमल कसाब सहित 26/11 के अन्य आतंकियों को ‘दौरा-ए-रिब्बत’, यानी ख़ुफ़िया प्रशिक्षण यहीं दी गई थी। 26/11 के अन्य साजिशकर्ता डेविड हेडली और तहव्वुर राणा यहाँ आए थे। वो अब्दुल रहमान सैयद पाशा, हारून और खुर्रम सहित अन्य साजिशकर्ताओं के साथ यहाँ आए थे। उन्हें आतंकी सरगना जकीउर्रहमान लखवी से निर्देश प्राप्त होते थे।

सरजल में चल रहा जैश-ए-मोहम्मद का संचार नेटवर्क भी ध्वस्त कर दिया गया। ये नरोवाल जिले के शकरगढ़ तहसील में स्थित था। जैश-ए-मुहम्मद कई वर्षों से भारत के लिए सिरदर्द बना हुआ है। इंटरनेशनल बॉर्डर से 6 km भीतर स्थित सरजल के तेहरा कलाँ गाँव में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) बनाकर उसकी आड़ में आतंकी शिविर चलाया जा रहा था। मार्च 2025 में जम्मू कश्मीर में हमला कर 4 पुलिस अधिकारियों की हत्या कर दी गई थी। 2 आतंकी भी मारे गए थे। इस हमले की पूरी साजिश सरजल में ही रची गई थी। यहीं से सीमा पर सुरंग बनाने का काम किया जाता था। घाटी में घुसपैठ कराए जाते थे। ड्रग्स भेजने के लिए भी इस जगह का इस्तेमाल होता था। भारत की सीमा में ड्रोन भेजे जाते थे। यानी, ये हथियार तस्करी का भी एक अड्डा था। जम्मू कश्मीर का संबा सेक्टर इससे नज़दीक ही है, ऐसे में ये जगह महत्वपूर्ण थी।

इसके बाद नंबर आता है सियालकोट स्थित मेहमूना जोया का, जो सीमा से 12 किलोमीटर भीतर स्थित है। यहाँ हिज़्बुल मुजाहिद्दीन का ट्रेनिंग कैम्प था। आतंकी सरगना मोहम्मद इरफ़ान खान, या इरफ़ान टांडा यहाँ का पूरा कामकाज देखते थे। यहाँ किसी भी समय पर 20-25 आतंकी मौजूद रहते थे।

हिज़्बुल का भी भारत में हुए कई आतंकी हमलों में हाथ रहा है। जम्मू कश्मीर में जिस बुरहान वानी के मारे जाने के बाद उसके जनाजे में लाखों लोग उमड़े थे, वो इसी आतंकी संगठन का कमांडर था। जनवरी 2016 में भारतीय वायुसेना के पठानकोट एयर बेस पर हुए हमले की साजिश यहीं रची गई थी। इसके बाद चौथा ठिकाना जहाँ भारत ने स्ट्राइक किया वो था भिम्बर का मरकज़ अहले हदीथ बरनाला। LoC से 9 km भीतर स्थित इसी जगह पर IED बमों को लेकर आतंकियों को प्रशिक्षित किया जाता था। जंगलों में इन आतंकियों को कैसे सर्वाइव करने है, ये भी यहीं सिखाया जाता था। उन्हें कई ख़तरनाक हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है। अब इसे समतल कर दिया गया है। यहाँ 100-150 आतंकी कैडर मौजूद हुआ करते थे।

भारत का छठा निशाना बना – कोटली का अब्बास। LoC से 13 किलोमीटर अंदर। LeT (लश्कर-ए-तैय्यबा) के आतंकियों को आत्मघाती बनने की ट्रेनिंग यहाँ दी जाती थी। यहाँ का पूरा प्रबंधन सँभालता था मुफ़्ती अब्दुल रउफ असगर। उसका साथ देता था हाफिज अब्दुल सकूर उर्फ़ काज़ी जर्रार। वो NIA की लिस्ट में भी वॉन्टेड है। उनका ब्रेनवॉश होता था, 72 हूर का लालच दिया जाता था और फिर भारत में भेज दिया जाता था। यहाँ भी 100-125 आतंकी मौजूद रहते थे। LoC से 13 किलोमीटर भीतर स्थित कोटली का गुलपुर सातवाँ निशाना बना। जम्मू कश्मीर के राजौरी और पुँछ में जो भी आतंकी ऑपरेट करते हैं, उन्हें यहीं से दिशानिर्देश मिलते थे। पुँछ में अप्रैल 2023 में हुए हमले की साजिश यहीं रची गई थी। इसी तरह, रियासी में वैष्णो देवी के श्रद्धालुओं से भरी बस पर गोलीबारी की साजिश यहीं रची गई थी। इसमें मरने वालों में महिलाओं और छोटे बच्चे भी शामिल थे। 9 श्रद्धालु मारे गए थे। यहाँ आतंकियों को पहाड़ियों में हमलों की ट्रेनिंग दी जाती थी।

इन 7 ठिकानों के अलावा भारत ने मुज़फ़्फ़राबाद स्थित सवाई नाला को निशाना बनाया, यहाँ भी LeT वालों ने अपना एक बड़ा ट्रेनिंग सेंटर स्थापित करके रखा हुआ था। इसे बैत-उल-मुजाहिद्दीन के नाम से भी जाना जाता है। ये मुज़फ़्फ़राबाद-नीलम रोड पर चेलाबन्दी पुल के पास स्थित था। 21वीं सदी की शुरुआत से ही ये सेंटर लगातार चल रहा था। यहाँ LeT कमांडरों का पंजीकरण होता था। यहाँ दौरा-ए-आम की ट्रेनिंग होती थी, जिसके तहत इस्लामी से लेकर GPS-मैप तक की ट्रेनिंग दी जाती थी। ये LoC से 30 किलोमीटर भीतर स्थित है। 200-250 आतंकियों वाले इस सेंटर से उत्तरी कश्मीर में आतंकी भेजे जाते थे। मुज़फ़्फ़राबाद का ही सैयद बिलाल 9वाँ और अंतिम निशाना बना। यहाँ भी JeM के आतंकियों को गोला-बारूद और हथियारों का प्रशिक्षण दिया जाता था। ये मुजफ्फराबाद के लाल किले के पास स्थित था। अब्दुल्लाह जिहादी उर्फ़ अब्दुल्लाह कश्मीरी और भारतीय भगोड़ा आशिक नांगरू यहीं मौजूद रहता था। पाकिस्तानी सेना का ‘स्पेशल सर्विस ग्रुप’ (SSG) भी यहाँ आतंकियों को ट्रेनिंग देता था।

इन निशानों में JeM के 4, LeT के 3 और हिज़्बुल मुजाहिद्दीन के 2 ठिकाने शामिल थे। इनमें से 4 पाकिस्तान में थे, जबकि 5 पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में जो हिस्सा तो भारत का ही है लेकिन पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा रखा है। इन सारे ट्रेनिंग सेंटरों पर आतंकी संगठनों को पाकिस्तानी फ़ौज और ख़ुफ़िया एजेंसी ISI से लगातार सहयोग मिलता रहता था। फंडिंग से लेकर प्रोपेगंडा तक के लिए आतंकियों ने यहाँ सेंटर बना रखे थे। मरकज़ सुभान अल्लाह 2015 से आतंकियों का गढ़ बना हुआ था, वहीं मुरीदके स्थित मरकज़ तैबा से मुल्ले-मौलवी ब्रेनवॉश का अभियान भी चलाते थे।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद सक्रिय हुआ भारत का ‘ढाई मोर्चा’

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि भारत में बैठे कुछ लोगों को भी मिर्ची लग गई। जब कॉन्ग्रेस पार्टी के लोग मीडिया के सामने आए तो राहुल गाँधी समेत सभी नेताओं के चेहरे उतरे हुए थे। पत्रकार व फिल्मकार अविनाश दास सोशल मीडिया पर युद्ध के ख़िलाफ़ कविताएँ लिखने लगे। वहीं ईरान की अभिनेत्री व मॉडल मंदाना करीमी ने हिन्दू धर्म को भला-बुरा कहा, जबकि उन्होंने ख़ुद गौरव गुप्ता से शादी के लिए हिन्दू धर्म अपनाया था। हालाँकि, उनका तलाक़ हो चुका है। कॉन्ग्रेस के सांसद इमरान मसूद ने कहा कि भारत अपने स्ट्राइक में पाकिस्तान में चील-कौवे मार गिराता है।

जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की ख़बर आई थी, उसी समय कॉन्ग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कह दिया था कि सुरक्षा बलों को इसके बारे में नहीं बताया गया है। कॉन्ग्रेस पार्टी के एक अन्य पदाधिकारी उदित राज ने सिंदूर को एक धर्म विशेष का चिह्न बता दिया। ‘The Hindu’ समूह की पत्रिका Frontline की संपादक वैष्णा रॉय ने सिंदूर को ‘जुनूनी हिंदुत्व’ से जोड़ते हुए इसे पितृसत्तामक प्रतीक बता दिया। इस दौरान ये सभी लोग ये भूल गए कि पहलगाम में आतंकियों ने धर्म पूछकर निशाना बनाया था, शुरू पाकिस्तान ने किया था। भारत ने तो केवल ‘न्याय’ किया, जवाबी कार्रवाई की।

‘The Wire’ की आरफा खानम शेरवानी ने पाकिस्तानी प्रोपेगंडा चलाते हुए दावा किया कि भारत ने आम नागरिकों की हत्या की है, आतंकियों को नहीं मारा है। शायद ये वही भीतर ‘ढाई मोर्चा’ है जिससे देश की लड़ाई है, जिसका जिक्र दिवंगत CDS जनरल बिपिन रावत ने किया था। वैसे विदेशी मीडिया भी पीछे नहीं रहा। पहलगाम के आतंकियों को ‘बंदूकधारी’ और ‘बाग़ी’ बताने वाले DW, BBC और ग्लोबल टाइम्स जैसे मीडिया संस्थानों ने भी पाकिस्तानी नैरेटिव को आगे बढ़ाने की कोशिश की। पाकिस्तान ने जमकर झूठे प्रचार-प्रसार का बहाना बनाया।

दिन में शांति, रात में तनाव: युद्ध के मुहाने पर भारत-पाकिस्तान

भारत की स्ट्राइक के बाद ही पाकिस्तान की रातों की नींद उड़ी हुई है। पाकिस्तानी जाग रहे हैं, क्योंकि उन्हें भारत की जवाबी कार्रवाई से भय है। भारतीय जाग रहे हैं, क्योंकि उन्हें ‘गुड न्यूज़’ का इंतज़ार है। गुरुवार (8 मई, 2025) को पाकिस्तान ने जम्मू, पंजाब और राजस्थान पर मिसाइल एवं ड्रोन्स से हमला बोल दिया। वो तो भला हो रूस के साथ सौदे में मिले S-400 एयर डिफेंस सिस्टम का, जिसने उन सभी को मार गिराया। जम्मू एयरपोर्ट और यूनिवर्सिटी को निशाना बनाया गया। अमृतसर को निशाना बनाया गया। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में चल रहे IPL के मैच को रोकना पड़ गया।

इससे पहले दिन में भारत ने लाहौर का एयर डिफेंस सिस्टम उड़ा दिया था। पाकिस्तान इस्लामाबाद और लाहौर से वीडियो बना-बना कर ये साबित करने की कोशिश में लगे रहे कि उनके यहाँ सब ठीक है। राजस्थान के जैसलमेर में भारत ने पाकिस्तान के F-16 फाइटर जेट को भी मार गिराया। जम्मू कश्मीर के साम्बा में घुसपैठ की कोशिश को नाकाम किया गया। कश्मीर में बॉर्डर के कई इलाक़ों में देर रात तक भारी गोलीबारी चलती रही। स्थिति इतनी बिगड़ गई थी कि पूरे चंडीगढ़ में ब्लैकआउट करना पड़ा था। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में स्कूल भी बंद करने पड़े।

उधर पूरा का पूरा वामपंथी गिरोह एक नया शब्द लेकर आ गया – De-escalation. ये लोग लगातार युद्ध के खिलाफ लिखने लगे, जैसे भारत ने ही सबकुछ शुरू किया हो। विनोद कापड़ी से लेकर आरफा खानम शेरवानी तक ये भूल गए कि वो पाकिस्तान ही था जिसने 1947, 1965, 1971 और 1999 में भारत पर हमला किया और हमेशा मुँह की खाई। वो पाकिस्तान ही था जिसने 26/11 मुंबई हमले को अंजाम दिया और 166 निर्दोष लोग मारे गए। पठानकोट, पुलवामा, उरी, रियासी और पहलगाम में हमले किए गए। यूपीए काल में दिल्ली, पुणे, हैदराबाद, जयपुर, असम, पटना और वाराणसी तक में बम धमाके हुए – इन सबके पीछे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद ही था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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