Sunday, September 29, 2024
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6 घंटे तक ठप रहा एअर इंडिया का SITA सर्वर, हजारों यात्री एयरपोर्ट पर फँसे रहे

एयर इंडिया का सर्वर शनिवार (अप्रैल 27, 2019) को लगभग 6 घंटे तक ठप रहा। इसकी जानकारी खुद एयर इंडिया के सीएमडी अश्विनी लोहानी ने दी है। उन्होंने बताया कि सर्वर 6 घंटे खराब रहने के बाद ठीक हुआ और जल्द ही उड़ानों को शुरु कर दिया जाएगा।

एयर इंडिया फ्लाइट्स का सर्वर सुबह 3:30 से डाउन था। सर्वर डाउन होने की वजह से एयर इंडिया की सभी उड़ानों में देरी के चलते हजारों यात्री इंदिरा गाँधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर फँसे हुए थे और इसी तरह मुंबई एयरपोर्ट पर भी हजारों यात्री फँसे हुए थे। यात्रियों के बोर्डिंग पास भी नहीं निकल पा रहे थे। जिसकी वजह से दिल्ली एयरपोर्ट पर अफरा-तफरी का माहौल था। सर्वर में दिक्कत की वजह से इसकी घरेलू के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स पर भी असर पड़ा।

एयरलाइंस के SITA सर्वर में खराबी की बात खुद कंपनी ने स्वीकार की। सर्वर डाउन होने के बाद एयर इंडिया ने आधिकारिक बयान जारी किया था। जिसमें एयर इंडिया के प्रवक्ता ने कहा था कि SITA सर्वर के ब्रेकडाउन होने की वजह से सभी उड़ानें प्रभावित हुई हैं। हमारी तकनीकी टीम इसे ठीक करने की कोशिश कर रही है। जल्द ही सिस्टम सही हो जाएगा। इसके साथ ही एअर इंडिया ने यात्रियों को हो रही असुविधा के लिए खेद भी जताया था।

गौरतलब है कि इसी तरह की एक घटना पिछले साल 23 जून को हुई थी, जब एयरलाइन के चेक-इन सॉफ्टवेयर में एक तकनीकी खराबी की वजह से  पूरे भारत में 25 उड़ानों में देर हो गई थी।

यौन अपराध के पीड़ित ही नहीं ‘आरोपितों’ की भी पहचान छिपाई जानी चाहिए: SC में याचिका

यौन अपराध के आरोपितों की पहचान छुपाने हेतु सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है। इस याचिका में मामले की जाँच पूरी होने तक आरोपित की पहचान छिपाने के लिए दिशानिर्देश तय करने के संबंध में निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। साथ ही याचिका के जरिए माँग की गई है कि यह निर्देश मीडिया को भी दिए जाएँ।

यह याचिका सर्वोच्च न्यायालय के यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने दायर की है। इसमें कहा गया है कि कभी-कभी झूठे आरोप लगने के कारण एक निर्दोष का पूरा जीवन बर्बाद हो जाता है, इसके कई उदाहरण है, जिनमें किसी को फंसाया गया। जिसके कारण आरोपित ने आत्महत्या कर ली। बता दें कि यौन अपराध के मामलों में पीड़ित की पहचान नहीं उजागर की जा सकती है।

आज हमारे समाज में महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से बनाए गए कानूनों का कुछ लोगों द्वारा दुरुपयोग किया जा रहा है। जिसके कारण इस तरह की याचिका दायर करने की जरूरत पड़ी। निसंदेह ही एक बलात्कारी को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाना चाहिए, लेकिन ये भी सच है कि कानूनों का दुरुपयोग करके किसी निर्दोष को नहीं फँसाया जाना चाहिए। जिस तरह यह जरूरी नहीं है कि यौन अपराध की पीड़ित कोई महिला ही हो, उसी प्रकार यह जरूरी नहीं है कि यौन अपराध का आरोपित पुरुष ही हो।

साल 2016 में दिल्ली की एक अदालत ने एक निर्दोष व्यक्ति को बरी किया था जिस पर पश्चिमी दिल्ली के उत्तम नगर इलाके में 2013 में पहचान वाली एक महिला के साथ दुष्कर्म करने का आरोप था। इस मामले में न्यायालय ने कहा था कि ऐसे मामलों में न केवल आरोपी की प्रतिष्ठा और गरिमा को बहाल करना मुश्किल हो जाता है बल्कि अपमान, दुख, संकट और आर्थिक नुकसान की भरपाई करना भी काफी मुश्किल हो सकता है, लेकिन बरी किए जाने से उसे कुछ सांत्वना मिल सकती है और वह नुकसान के लिए मामला दर्ज करा सकता है। गौरतलब है इस सुनवाई के दौरान व्यक्ति ने दावा किया था कि वह पिछले पाँच साल से महिला को जानता है तथा महिला उससे पैसे ऐंठने की कोशिश कर रही थी। उसने यह भी कहा कि उन दोनों के शारीरिक संबंध आपसी सहमति के आधार पर बने थे।

इतना ही नहीं साल 2018 में दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा में जनवरी से मई के बीच 6 जिलों से जुटाए आँकड़ों के अनुसार कुल 266 दुष्कर्म के केस दर्ज हुए थे। इनमें 50 फर्जी साबित हुए थे। अब ऐसी स्थिति में ये वाकई विचार करने का विषय है कि यौन अपराध के आरोपित पर अपराध सिद्ध होने तक उसकी पहचान उजागर की जाए या नहीं। देखना है कि कोर्ट का इस याचिका पर क्या फैसला आता है।

श्री लंका में फिर से 3 ब्लास्ट, दहशत का माहौल: Russia Today की रिपोर्ट

श्री लंका में शुरू हुआ विस्फोटों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। रूसी खबरिया चैनल के ट्वीट के हवाले से मिली सूचना के अनुसार फिर से 3 ब्लास्ट की खबरें आ रही हैं। हालाँकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इन धमाकों में कितना नुकसान हुआ है।

बताया जा रहा है कि आज का यह ब्लास्ट तब हुआ जब बड़े पैमाने पर हुए पिछले 9 ब्लास्ट के संदिग्धों के खिलाफ धर-पकड़ अभियान चलाया जा रहा था।

इस सर्च अभियान में 10000 से ज़्यादा सैनिक लगाए गए थे। पहले भी कई संदिग्धों की गिरफ़्तारी हो चुकी थी।

बता दें कि इससे पहले ईस्टर संडे की सुबह ने श्रीलंका को हिला कर रख दिया था। 21 अप्रैल 2019 को श्रीलंका में इस्लामी आतंक का कहर बरपा है। नज़ारा बेहद वीभत्स और दिल दहला देने वाला था। अब तक लगातार आठ बम धमाके और बाद में एक बम धमाका हुआ था। रिपोर्ट के अनुसार, अब तक इन धमाकों में 300 से ज्यादा मौतें हुई हैं और करीब 500 ज्यादा लोग बुरी तरह जख्मी हुए हैं।

UP में हवन और केरल में गौ-हत्या करने वाले के साथ भ्रमण कॉन्ग्रेस का नया ‘सेकुलरिज्म’ है

केरल के पूर्व यूथ कॉन्ग्रेस अध्यक्ष रिजिल मकुट्टी को 2017 में एक बछड़े को घसीटने और बहुत ही क्रूरता के साथ उसे पब्लिक प्लेस में काटने के कारण कॉन्ग्रेस से निलंबित कर दिया गया था और अब उन्हें लोकसभा चुनावों के लिए केरल में पार्टी के लिए आक्रामक तरीके से प्रचार करते हुए देखा जा रहा है।

वरिष्ठ कॉन्ग्रेसी नेता प्रियंका गाँधी और कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी की रिजिल मकुट्टी के साथ की कई तस्वीरें रिजिल ने खुद अपने सोशल मीडिया पेज पर पोस्ट की थीं।

रिजिल ने 20 अप्रैल, 2019 को प्रियंका गाँधी के साथ अपनी तस्वीर अपलोड की थी, जब वह चुनावी रैलियों और जनसभाओं को संबोधित करने के लिए केरल की यात्रा पर थीं। 17 अप्रैल, 2019 को उनके द्वारा अपलोड किए गए एक अन्य पोस्ट में, रिजिल को कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी का स्वागत और अभिवादन करते देखा जा सकता है।

2017 में, गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र के कदम के विरोध में, रिजिल ने अपने सहयोगियों के साथ एक बछड़े को खींच कर और क्रूरता से उसका कत्ल कर दिया था। गाय को हिंदुओं द्वारा एक पवित्र जानवर माना जाता है। फिर भी बछड़े का वध करने का कार्य केंद्र में हिंदुओं और हिंदुत्ववादी सरकार को एक मजबूत संकेत भेजने के लिए किया गया था। वो सन्देश शायद उस आस्था को न मानने का था या कानून के उल्लंघन का, दोनों में से कोई भी क्षमा योग्य नहीं है। हालाँकि, कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने तब अपनी पीड़ा व्यक्त की थी और इस घटना की निंदा की थी।

हालाँकि, हिंदुओं की भावनाओं के लिए वास्तविक चिंता का विषय यह है कि मकुट्टी पार्टी गतिविधियों में लगातार शामिल है। सोशल मीडिया पर राहुल गाँधी द्वारा व्यक्त किए गए आक्रोश के साथ-साथ मकुट्टी का निलंबन भी एक ढकोसला प्रतीत हो रहा है क्योंकि उसकी पार्टी में सक्रियता देखकर स्पष्ट है कि रिजिल मकुट्टी के खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू नहीं हुई है।

तथ्य यह है कि राहुल ने मकुट्टी को केरल राज्य कॉन्ग्रेस इकाई के लिए काम करना जारी रखने की अनुमति दे दी थी, जिसमें कहा गया था कि उनके पास खुद को किसी ऐसे व्यक्ति के साथ जोड़ने में कोई दिक्कत नहीं थी, जिसने बछड़े को मारकर हिंदू भावनाओं को आहत किया था। राहुल और प्रियंका के साथ रिजिल की हाल की तस्वीरें भी इसकी पुष्टि करती हैं।

लगभग साफ है कि कॉन्ग्रेस का हिन्दू आस्था और उनके प्रतीकों के अपमान के प्रति आक्रोश महज एक दिखावा है। उनका मंदिर-मंदिर दौड़ लगाना और राहुल-प्रियंका का उत्तर प्रदेश में हवन-पूजा भी केवल वोट बैंक को आकर्षित करने की कोशिश है जबकि बार-बार उनके व्यवहार से उनका हर झूठ बाहर आता रहता है। यह घटना नई नहीं है ऐसा पहले भी हो चुका है। एक गौहत्या करने वाले के साथ की उनकी तस्वीरें उनके चरित्र के दोहरेपन को उजागर करती हैं।

मोदी इंटरव्यू के दौरान कपड़े फाड़कर ‘पछड़ा-पछड़ी’ करना चाहते हैं रवीश, उन्हें पागल होना है

रवीश कुमार का परिचय देते हुए ये नहीं लिखूँगा कि वह ‘ये हैं, वो हैं’ या फिर ‘उनकी फलाँ उपलब्धियाँ हैं’ और उन्हें उनके स्तर की याद भी नहीं दिलाऊँगा क्योंकि ऐसा बहुतों बार हो चुका है। हमारा मानना है कि अगर किसी व्यक्ति को ख़ुद इस बात की कोई परवाह नहीं है कि वो क्या कर रहा है, कहाँ बैठा है और वह जो भी कर रहा है, वो उसके अनुरूप है या नहीं जहाँ वह बैठा हुआ है, तो फिर याद दिलाने से क्या फ़ायदा?

बार-बार याद दिलाने से क्या फ़ायदा? नॉन-पोलिटिकल प्राइम टाइम हो या टीवी की स्क्रीन काली कर देना, रवीश ने पत्रकारिता में हर वो बाहरी चीजें ठूँसनी चाही, जिसका न पत्रकारिता से कोई लेना-देना है और न ही पत्रकारिता के मानदंडों से। जब वह अपोलोटिकल प्राइम टाइम में बोल रहे थे तो यूँ लग रहा था जैसे डिस्कवरी का कोई जानवरों वाला कॉमेडी शो चल रहा हो। ख़ैर, रवीश कुमार के मन को पढ़ कर जानने की कोशिश करते हैं कि उनकी इच्छा क्या है?

रवीश की कुंठा का कारण क्या है?

रवीश कुमार के मन में ये बात साफ़-साफ़ झलक रही थी कि वो इस बात से ख़ासे दुःखी हैं कि प्रधानमंत्री उन्हें इंटरव्यू नहीं देते। वो इस बात को ‘प्रधानमंत्री रवीश से डरते हैं’ वाला नैरेटिव बनाकर प्रचारित करना चाहते हैं ताकि जनता भी प्रधानमंत्री पर दबाव डालते हुए कहे कि आप रवीश को इंटरव्यू दो। अफ़सोस यह कि वायर, क्विंट और स्क्रॉल के पत्रकारों के अलावा कोई और उनके इस आंदोलन में शामिल नहीं हो रहा।

जिस तरह उन्होंने अपने प्राइम टाइम में कहा कि किसी ने मोदी जी को कुमार को इंटरव्यू देने को कहा तो वो अक्षय कुमार को दे आए, उससे उनका दर्द साफ़-साफ़ झलक रहा था। आख़िर झलके भी क्यों न, रवीश अपने प्राइम टाइम में एक्टिंग कर रहे हैं और एक्टिंग इंडस्ट्री को इस बात से दुःख पहुँचा होगा। शायद अक्षय कुमार ने इसी दुःख से ग्रसित होकर प्रधानमंत्री का इंटरव्यू लिया और साबित कर दिया कि अगर पत्रकार अच्छी एक्टिंग कर सकते हैं तो उनके जैसे एक्टर भी अच्छी पत्रकारिता करके दिखा सकते हैं।

मैं रवीश कुमार के शहर से हूँ। उसी शहर से जहाँ उनका जन्म हुआ था। उनके और मेरे घर की दूरी 20-30 किलोमीटर से ज्यादा नहीं होगी। हमारे यहाँ से लड़के अक्सर उनसे मिलने आते रहते हैं। एनडीटीवी स्टूडियो में मोतिहारी से आनेवाले लोगों का स्वागत भी किया जाता है और रवीश उनसे मिलने के लिए समय देते हैं, इसमें कोई शक नहीं। लेकिन, इससे रवीश का भी फ़ायदा होता है क्योंकि बिहार के किसी कोने में अगर किसी प्राथमिक सरकारी विद्यालय में दूसरी कक्षा की परीक्षा में 3 दिन की देरी हुई है, तो उन्हें पता चल जाता है। फिर क्या, इसपर आधे घंटे का एक प्राइम टाइम तो हो ही सकता है

और हाँ, एनडीटीवी पर आने वाले ऐडवर्टाइज़मेंट को भी ले लें तो एक-डेढ़ घंटे का शो तो यूँ ही बन जाता है। रवीश कुमार के शहर से, उसी मिट्टी से होने के कारण मैनें बहुत हद तक उनके मन को पढ़ लिया है और मैंने जो भी अनुभव किया वो आपसे शेयर करना चाहूँगा। ठहरिए, ये मज़ाक नहीं है, इसे सटायर न समझें।

दरअसल, रवीश कुमार प्रधानमंत्री मोदी से बहस करना चाहते हैं, उनसे इंटरव्यू नहीं लेना चाहते। असल में बहस भी नहीं करना चाहते, वो पीएम मोदी से ‘पछड़ा-पछड़ी’ करना चाहते हैं। इसे लालूकाल की गुंडागर्दी का प्रभाव कहिए या फिर नक्सलियों के ख़िलाफ़ हथियार उठाने वाले एकमात्र समाज का गरम दिमाग, बिहार में मसलों को पछड़ा-पछड़ी कर सुलझाने की बात आम रही है। रवीश कुमार और मैं एक ही इलाके से हैं, इसीलिए इस बात को बख़ूबी समझते हैं।

हालाँकि, मुझे पढ़ाई करने के लिए मुझे 12वीं से पहले शहर से बाहर निकलने का अवसर नहीं मिला, मुझे गर्व है कि रवीश उस ज़माने में भी बाहर निकलने मे सफ़ल रहे। मेरी शिक्षा-दीक्षा उनकी तरह पटना के किसी कैथोलिक प्राइवेट स्कूल में नहीं हुई है। बचपन में बड़े-बड़े कैथोलिक स्कूलों में पढ़ने का अवसर अगर मिला होता तो शायद मैं भी उस ऊँचाई पर पहुँचने का स्वप्न देखता, जहाँ आज यह खड़े हैं। लेकिन माफ़ कीजिए, वो दिल्ली के मुख्यमंत्री कहते हैं न, ‘हम तो छोटे लोग हैं जी!’

रवीश को ‘पछड़ा-पछड़ी’ से वंचित न रखा जाए

वापस मोदी और उनके इंटरव्यू पर आते हैं। नरेंद्र मोदी ने न सिर्फ़ अक्षय कुमार ही नहीं बल्कि इस चुनाव से पहले कई मीडिया हाउस को इंटरव्यू दिया है। इस साल की शुरुआत ही एएनआई को दिए उनके इंटरव्यू से हुई थी। हाँ, वही एएनआई जिसके कंटेंट की ज़रूरत एनडीटीवी को भी पड़ती है। पीएम ने एबीपी न्यूज़ को भी इंटरव्यू दिया, उसमें उनसे साध्वी प्रज्ञा को लेकर भी सवाल पूछे गए, राफेल को लेकर सवाल दागे गए। शायद ही किसी मीडिया हाउस या पत्रकार ने पीएम से राफेल को लेकर सवाल न पूछे हों। फिर, रवीश की कुंठा का कारण क्या है? फिर वही बात, वो ‘पछड़ा-पछड़ी’ करना चाहते हैं। रवीश चाहते हैं कि वो राफेल पर मोदी से सवाल पूछें, पीएम जवाब दें, रवीश फिर काउंटर सवाल पूछें और फिर अंत में वही- “पछड़ा पछड़ी”। रवीश कुमार इस बात से दुःखी हैं कि मोदी और पत्रकारों की ‘पछड़ा-पछड़ी’ क्यों नहीं हो रही?

आख़िर मोदी का इंटरव्यू लेनेवाले पत्रकार ‘द वायर’ का रिफरेन्स देकर सवाल क्यों नहीं पूछ रहे? आख़िर मोदी जब जवाब देना शुरू करते हैं तो उन्हें बीच में क्यों नहीं टोका जा रहा है? आख़िर ये कैसी पत्रकारिता है जहाँ सामनेवाले को जवाब देने के लिए पूरा समय दिया जाए? आख़िर पत्रकार लाइव इंटरव्यू में स्टूडियो के भीतर ही ‘पछड़ा-पछड़ी’ क्यों नहीं कर रहे? रवीश कुमार चाहते हैं कि कोई पत्रकार लाइव इंटरव्यू के दौरान पीएम के जवाब के बाद टेबल पर एक करारा मुक्का मारे और अपनी कुर्सी को नीचे पटक डाले।

रवीश की इच्छा है कि मोदी का इंटरव्यू लेनेवाला पत्रकार उनके जवाब के दौरान अपने ही मुँह पर माइक दे मारे। कैमरा पटक दिया जाए, माइक फेक दी जाए, टेबल पर मुक्का मारा जाए, कुर्सी को लताड़ दिया जाए और फिर पत्रकार नाचते हुए पागलों जैसी हरकत करने लगे। तब होगा ‘कठिन सवाल’, जिसे हम ‘Tough Questions’ भी कहते हैं। रवीश कुमार पूरे भारत के सामने एक नेशनल टीवी पर पागल होना चाहते हैं, वो भी प्रधानमंत्री मोदी का इंटरव्यू लेने के दौरान।

रवीश को उनके पागलपन से वंचित किया जा रहा है। उन्हें खुलकर पागल नहीं होने दिया जा रहा। उन्हें पगलई करने दिया जाए, पीएम से अपील की जाए कि सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाकर एक इंटरव्यू रवीश कुमार को दे ही दी जाए। उन्हें भरे स्टूडियो में नाचने-गाने, तांडव करने और अपने कपडे फाड़ डालने की अनुमति दी जाए। उनकी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा को यूँ न दबाया जाए। रवीश कुमार पीएम मोदी से इंटरव्यू लेकर दुनिया को अपनी अपनी ‘कठिन सवालों वाली’ पत्रकारिता दिखाना चाहते हैं।

भाजपा और मोदी समझ नहीं रहे, रवीश घंटेभर के लिए पागल होना चाहते हैं, अपना कोट फाड़कर ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाना चाहते हैं क्योंकि बाकी पत्रकार इंटरव्यू में बस सवाल पूछ रहे हैं। अरे ये पत्रकारिता थोड़े ही है? पत्रकारिता है पागल हो जाना, कपड़ा फाड़ कर नाचना। उनका पड़ोसी होने के कारण मैंने अपना कर्त्तव्य निभाते हुए दुनिया को उनकी कुंठा से अवगत कराया है,अब ज़िम्मेदारी आपकी है कि उनकी व्यथा दूर की जाए।

मोदी के नाम की टीशर्ट पहनकर लगा रहा था राहुल गाँधी के बैनर, कॉन्ग्रेस नेता भड़के

कॉन्ग्रेस मोदी के नाम से भी डरी हुई है। जिसका शिकार एक मजदूर हो गया। जयपुर में प्रधानमंत्री मोदी के नाम की टी-शर्ट पहन एक मजदूर प्रदेश कॉन्ग्रेस कार्यालय में राहुल गाँधी के बैनर लगा रहा था। अचानक से कॉन्ग्रेस नेताओं ने की नज़र उसके टीशर्ट पर पड़ी तो कॉन्ग्रेस के नेता भड़क गए।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जयपुर में सैम पित्रोदा के बुद्धिजीवी संवाद कार्यक्रम से पहले तैयारियाँ की जा रही थीं। उसी दौरान वहाँ एक मजदूर के पीएम नरेन्द्र मोदी के नाम की टी-शर्ट पहनकर कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी का बैनर लगाते देख, वहाँ के नेताओं के लिए असमंजस की स्थिति बन गई। अब करें तो करें क्या। बताया जा रहा है उसे वहाँ से डाँटकर भगा दिया गया।

बता दें कि मजदूर ने 16 जनवरी, 2018 को बाड़मेर में आयोजित हुए बाड़मेर रिफाइनरी एवं पेट्रोकेमिकल परियोजना के शुभारंभ के दौरान तैयार करवाई गई टी-शर्ट पहन रखी थी। टी-शर्ट पर बड़े अक्षरों में योजना के नाम के साथ पीएम नरेन्द्र मोदी का नाम लिखा हुआ था।

इस घटना को देखकर कॉन्ग्रेस का डर साफ झलक रहा है। कॉन्ग्रेस नेता आज इतने असहिष्णु हो गए हैं उन्हें मोदी के नाम का टीशर्ट भी स्वीकार नहीं है। एक व्यक्ति के प्रति उनके अंदर भरी हुई घृणा आज एक सामान्य मजदूर पर इस कदर निकलेगी, शायद ही कोई सोच सकता है। दूसरा इस घटना में कॉन्ग्रेस की एलिटिस्ट मानसिकता भी साफ झलक रही है।

अगर राजनीति में आया तो मेरी पत्नी मुझे छोड़ देगी: रघुराम राजन

डर की सच्ची तस्वीरें आमतौर पर फ़िल्मों या टीवी सीरियल्स में देखने को मिलती हैं, लेकिन एक डर बीवी का भी होता है, इसकी सच्ची तस्वीर RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मज़ाकिया लहज़े में दिखाई।

दरअसल, रघुराम राजन की पुस्तक ‘द थर्ड पिलर’ के विमोचन के दौरान उनसे सवाल पूछा गया कि क्या वो राजनीति में अपनी भूमिका के लिए भारत वापस आएँगे, तो इसके जवाब में उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी ने उनसे कहा है कि अगर वो राजनीति में गए तो वो उनके साथ नहीं रहेंगी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वो जहाँ हैं वहीं ख़ुश हैं, लेकिन अगर उन्हें कोई योग्य ऑफ़र मिला तो वो उस पर विचार करेंगे।

उनके इन शब्दों पर सोशल मीडिया पर यूज़र्स ने चुटकी ली। एक यूज़र ने लिखा, “सर आप पहले से ही राजनीति में हैं, लेकिन आप इसे एक अलग तरीके से सार्वजनिक करते हैं।”

एक यूज़र ने तो अपनी प्रतिक्रिया में रघुराम राजन को ‘कांग्रेसी राजन’ तक लिख दिया।

एक अन्य यूज़र ने ट्वीट किया कि, या तो आपको राजनीतिक बयान देना बंद कर देना चाहिए या इसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार लेना चाहिए।

भले ही यह बात रघुराम राजन ने एक मज़ाकिया लहज़े में कही, लेकिन इस बात से यह तो स्पष्ट हो गया कि वो फ़िलहाल तो राजनीति में अपने क़दम नहीं रखने वाले हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि पिछले कुछ समय से यह अटकलें लगाई जा रही थी कि वो महागठबंधन (तृणमूल कॉन्ग्रेस, समाजवादी पार्टी, बसपा, सपा और तेलुगु देशम पार्टी) के जीतने की स्थिति में वित्त मंत्री का पदभार संभाल सकते हैं।

बता दें कि कॉन्ग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी ने NYAY स्कीम लॉन्च करने के बाद कहा था कि रघुराम राजन को विश्व के टॉप अर्थशास्त्रियों में से एक बताया था और कहा था कि उनकी पार्टी ने न्यूनतम आय योजना तैयार करते समय उन्हीं की सलाह ली थी।

ग़ौरतलब है कि कॉन्ग्रेस पार्टी ने देश की जनता को बरगलाने के लिए एक ऐसा पासा फेंका था जिसमें यह वादा किया गया कि यदि केंद्र में उनकी सरकार आएगी तो 5 करोड़ ग़रीब परिवारों को सालाना 72,000 रुपए दिए जाएँगे, यानी 6 हज़ार रुपए प्रतिमाह। इस राशि को गृहणी के खाते में सीधे ट्रांसफर करने की बात भी कही गई।

फ़िलहाल, रघुराम राजन शिकागो यूनिवर्सिटी के बूथ स्कूल ऑफ़ बिज़नेस में अध्यापन का कार्य कर रहे हैं। RBI के 23वें गवर्नर के रूप में रघुराम राजन का कार्यकाल सितंबर 2013 से सितंबर 2016 तक था।

SP-BSP रैली में घुसा सांड, मायावती ने कहा BJP ने ही भेजा होगा

सपा-बसपा गठबंधन जबसे हुआ है, मायावती और अखिलेश यादव को आए दिन किसी न किसी मुश्किल में पड़ते देखा जा सकता है। लेकिन हालिया परेशानी किसी इंसान को लेकर नहीं, बल्कि एक ‘मनचले’ सांड के कारण पैदा हुई है।

इन दिनों उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक सांड घुस आया है, जो चर्चा और हंसी-मजाक का विषय बन गया है।
अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के चुनाव क्षेत्र कन्नौज में बृहस्पतिवार (अप्रैल 25, 2019) को आयोजित सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन की रैली में एक सांड ने जमकर आतंक मचाया था। इस पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने बीजेपी पर कटाक्ष भी किया है। कन्नौज में अखिलेश यादव और मायावती, दोनों चुनाव प्रचार के लिए आने वाले थे। लेकिन सांड के खलल डालने से, उनकी रैली आधे घंटे लेट में शुरू हुई।

रैली के दौरान एक सांड के आ जाने से पूरी रैली में आफरा तफरी मच गई थी। सांड ने इस कदर आतंक मचाया कि अखिलेश और मायावती के हेलीकॉप्टर भी नीचे नहीं उतर पाए। बताया जा रहा है कि पुलिस के साथ कार्यकर्ता और फायर ब्रिगेड की आधे घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद सांड पर काबू पाया जा सका। इसके बाद उनकी रैली शुरू हो पाई।

सांड के आने और आतंक मचाने की घटना को मायावती ने बीजेपी की साजिश बताया। इस प्रकरण को लेकर शुक्रवार (अप्रैल 26, 2019) को उरई की एक जनसभा में मायावती ने बीजेपी पर वार किया। उन्होंने कहा, “अब तो बीजेपी के जो आवारा जानवर हैं, हमारी चुनावी जनसभा में उनको छोड़े जा रहे हैं। कल कन्नौज में हमारी जनसभा थी वहाँ हमारे आने से पहले बीजेपी के लोगों ने ऐसा लगता है शरारत के तहत वहाँ पर आवारा जानवरों को भेजा।”

पत्नी ने ममता की पार्टी को नहीं दिया वोट, टीएमसी समर्थक पति ने उसके मुँह में उड़ेला तेजाब

पश्चिम बंगाल में चुनाव से संबंधित हिंसा थमने का नाम ही नहीं ले रही। इस बार पश्चिम बंगाल से पूरी मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में एक महिला के मुँह में सिर्फ इसीलिए तेजाब उड़ेल दिया गया, क्योंकि उसने कथित तौर पर कॉन्ग्रेस को वोट दिया था। जानकारी के मुताबिक, टीएमसी के एक समर्थक की पत्नी ने सत्ताधारी दल टीएमसी को वोट नहीं दिया, जिससे खफा होकर उसने अपने रिश्तेदारों के साथ मिलकर अपनी पत्नी के मुँह में तेजाब डाल दिया

अंसुरा बीबी की हालत काफी गंभीर बताई जा रही है। वह जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है। पीड़ित महिला अंसुरा बीबी को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने महिला की गंभीर हालत को देखते हुए प्राथमिक उपचार करके उसे मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल रेफर कर दिया गया। इसीलिए डॉक्टरों ने उसे अगले 48 घंटे तक के लिए अपनी निगरानी में रखा है।

पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर जाँच शुरू कर दी है। अत्याचार की शिकार हुई महिला के बेटे ने इस घटना की पुष्टि की है। उसने बताया कि उसकी माँ के मुँह में तेजाब डालने से पहले उसके बाल पकड़ कर घसीटा गया और उसे बुरी तरह से पीटा भी गया था।

खबरों के अनुसार, मंगलवार (अप्रैल 23, 2019) को पोलिंग बूथ पर वोट डाल कर घर लौटने के बाद से ही परिवार के सदस्यों ने उस पर अत्याचार करना शुरू कर दिया था। गौरतलब है कि, इससे पहले भी पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के दौरान हिंसा के कई मामले सामने आए हैं। इन सब के बीच परिवार में ही राजनीतिक हिंसा की घटना काफी दुखद और शर्मनाक है।

जमानत पर सिर्फ़ साध्वी प्रज्ञा ही नहीं सोनिया, राहुल, कन्हैया भी लड़ रहे हैं लोकसभा चुनाव

इन दिनों एक ओर लोकसभा चुनाव के कारण पूरे देश का माहौल गरमाया हुआ है तो वहीं दूसरी ओर भोपाल की लोकसभा सीट पर साध्वी प्रज्ञा सिंह को टिकट मिलने से विपक्ष में भी काफ़ी हलचल है। साध्वी प्रज्ञा के मालेगाँव ब्लास्ट में आरोपित होने का उलाहना देकर विरोधी लगातार भाजपा को घेरने का प्रयास कर रहे हैं।

बार-बार इस बात को उठाया जा रहा है कि जिन साध्वी प्रज्ञा ने अपनी बिगड़ी तबियत के कारण जमानत ली थी, वो आज चुनाव प्रचार में इतनी सक्रिय कैसे हैं? प्रज्ञा के विरोध में उठने वाली ये आवाज़ दिन पर दिन बुलंद हो रही हैं। जबकि विपक्ष के कुछ नेता ऐसे हैं जिनका नाम बड़े-बड़े घोटालों में शामिल होने के बाद भी वो न केवल चुनाव लड़ रहे हैं बल्कि ‘राष्ट्रीय पार्टी’ के अध्यक्ष या फिर सबसे बड़ा चेहरा बने बैठे हैं।

1. सोनिया गाँधी

इस सूची में सबसे पहला नाम यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गाँधी का है जो इस बार भी रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी। सोनिया को टक्कर देने के लिए भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह (निरहुआ) भाजपा की ओर से मैदान में उतरे हैं। सोनिया गाँधी के ख़िलाफ़ नेशनल हेरॉल्ड केस में मामला दर्ज है। ये एक ऐसा केस है जिसमें गाँधी परिवार के किसी शख्स का नाम प्रत्यक्ष रूप से शामिल है। इस केस को साल 2012 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी अदालत ले गए थे। इसी मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत ने 19 दिसंबर 2015 को सोनिया और राहुल को जमानत दी थी।

2. राहुल गाँधी

यूपीए अध्यक्ष सोनिया गाँधी के बेटे और कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने भी नेशनल हेराल्ड केस के कारण खूब आलोचनाएँ झेली हैं। 2019 में राहुल वायनाड और अमेठी से चुनाव लड़ रहे हैं। अमेठी में उनके ख़िलाफ़ भाजपा ने स्मृति इरानी और वायनाड में एनडीए ने तुषार वेल्लापुली को उतारा है। राहुल गाँधी भी अदालत से जमानती कैंडिडेट हैं।

3.शशि थरूर

कॉन्ग्रेस के कद्दावर नेता शशि थरूर पर सुनंदा पुष्कर की हत्या के मामले में केस दर्ज है। घटना 2014 की है, जब शशि थरूर की पत्नी सुनंदा दिल्ली के लीला पैलेस (5 सितारा होटल) में मृत पाई गई थीं। शुरूआत में इसे स्वाभाविक मौत माना जा रहा था, लेकिन बाद में एम्स की रिपोर्ट ने खुलासा किया कि उन्हें ज़हर देकर मारा गया है। इस मामले में थरूर से पूछताछ शुरू हुई। साल 2018 में दिल्ली पुलिस ने उनकी न्यायिक हिरासत की माँग की, जिस पर थरूर ने अग्रिम जमानत की माँग की थी। इसके बाद दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा उन्हें 5 जुलाई 2018 को जमानत दे दी गई थी। साथ ही थरूर के विदेश जाने पर भी रोक लगा दी गई थी। इस बार थरूर तिरूवनंतपुरम की लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ेंगे। पिछले दो बार से वो यहाँ जीत दर्ज कराते आ रहे हैं।

4. कन्हैया कुमार

जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर साल 2016 में देशविरोधी नारेबाजी करने का आरोप है। 11 फरवरी 2016 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की शिकायत पर कन्हैया और उसके साथियों पर देशद्रोह का केस दर्ज हुआ था। 12 फरवरी 2016 इस मामले में कन्हैया गिरफ्तार हुए और 26 अगस्त को कन्हैया को जमानत मिली।

मामले के तीन साल बाद साल 2019 में फिर दिल्ली पुलिस ने केस में चार्जशीट दायर की है। जिसके मद्देनज़र कोर्ट ने दिल्ली सरकार को 23 जुलाई से पहले फैसला लेने को कहा है। कन्हैया के सुर्खियों में आने के बाद से ही अंदाजा लगाया जा रहा था कि वे साल 2019 में चुनाव लड़ सकते हैं जो कि सच हुआ। 32 साल के कन्हैया पहली बार सीपीआई की ओर से बेगुसराय सीट पर चुनाव लड़ेंगे। कन्हैया के ख़िलाफ़ भाजपा ने गिरिराज सिंह को उतारा है और आरजेडी ने तनवीर हसन को।

5. पप्पू यादव

पप्पू यादव जन अधिकार पार्टी की ओर बिहार की मधेपुर लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ेंगे। उनके विपक्षी आरजेडी से शरद यादव और जेडीयू से दिनेश चंद्र यादव होंगे। यूं तो आपराधिक रिकॉर्डों के मामले में पप्पू का इतिहास पुराना है लेकिन हाल ही में उन्हें दो मामलों में ज़मानत दी गई है। पहली 25 साल पुराने पुलिस से बदसलूकी के मामले में और दूसरी आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में।