राजनैतिक मुद्दे
हर सियासी मुद्दे का वह पहलू जिस पर ख़बरों से आगे चर्चा है ज़रूरी
सतपाल निश्चल की हत्या का पाकिस्तान ही जिम्मेदार नहीं, भारत का सेक्युलर-लिबरल पॉलिटिक्स भी दोषी
जम्मू-कश्मीर में बीते दिनों आतंकवादियों ने सतपाल निश्चल की गोली मार कर हत्या कर दी। उन्हें हाल ही में डोमिसाइल सर्टिफिकेट मिला था।
मुनव्वर फारूकी अगर ‘शार्ली एब्दो’ होता तो उसकी गर्दन नीचे पड़ी होती… लटर-पटर बंद करो लिबरलों
लिबरलों द्वारा मुनव्वर फारूकी की गिरफ्तारी की शार्ली एब्दो नरसंहार से तुलना करना, बताता है कि इनके तर्क कितने वाहियात हैं।
वाकई मुसलमान भारत में अल्पसंख्यक हैं, अलग-थलग हैं?
शेखर गुप्ता अकेले नहीं हैं। राजदीप से लेकर रवीश कुमार तक एक हरी-भरी जमात है, जिसके लिए अल्पसंख्यक की बातों का मतलब मुस्लिमपरस्ती है।
दिल्ली पुलिस पर रिवॉल्वर तानने वाले शाहरुख को भूली कॉन्ग्रेस, जामिया फायरिंग के नाबालिग को ‘उग्र दक्षिणपंथी’ बता दिखाया
कॉन्ग्रेस को शाहरुख याद नहीं है। लेकिन, जामिया में गोली चलाने वाले नाबालिग का चेहरा दिखाने से उसे गुरेज नहीं। क्यों? सिर्फ इसलिए कि वह नाबालिग एक हिंदू था।
सिखों की लाश पर PM बने, मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए हदें पार की: कॉन्ग्रेस का ‘मिस्टर क्लीन’… लेकिन कहे गए ‘बोफोर्स चोर’
भारत में अगर किसी पार्टी को कभी सबसे ज्यादा सीटें मिलीं तो वो थी 1984 में कॉन्ग्रेस को मिली 414 सीट। इसके बाद राजीव गाँधी प्रधानमंत्री बने।
बुलेट का जवाब बैलेट से: जम्मू-कश्मीर में भारत, भारतीयों और लोकतंत्र की जीत, भाजपा का उदय है बड़ा संदेश
सन 2021 की ‘पूर्वसंध्या’ में आए ये चुनाव परिणाम बहुत कुछ कहते हैं और आगामी विधानसभा चुनावों की पूर्वपीठिका निर्मित करते हैं।
लोकतंत्र का ककहरा सीखें राहुल गाँधी, क्योंकि यह परिवार का विशेषाधिकार सुरक्षित रखना नहीं
लोकतंत्र में विरोध करने का अधिकार सब रखते हैं। लेकिन विरोध का ये अधिकार जब गुंडागर्दी और अराजकता में बदल जाए तो इसे लोकतंत्र नहीं, भीड़तंत्र कहते हैं।
कृषि सुधारों का UPA से NDA तक का सफर: जहाँ बीजेपी लगातार कर रही पहल वहीं कॉन्ग्रेस ने पूरे 10 साल बयानबाजी में बिताए
इन कानूनों का धरातल पर उतरने के बाद ही उनका विश्लेषण किया जा सकता है। उससे पहले, केंद्र और राज्यों के संबंधों को कमजोर करना अथवा संसद द्वारा पारित कानूनों को फाड़ना कोई लोकतांत्रिक अधिकार नही बल्कि अराजकता है।
सूअर का माँस खाने वाला, शराब पीने वाला ‘क़ायद ए आजम’, जो नमाज तक पढ़ना नहीं जानता था
जिन्ना शराब पीता था, सूअर का माँस खाता था, उर्दू नहीं बोलता था और नमाज तक पढ़ना नहीं जानता था। तमाम मजहबी विरोधाभासों के बावजूद उन्हें समुदाय विशेष ने प्रेम किया, यह चौंकाने वाली बात जरूर है।
MSP की गारंटी कृषि सहित भारत की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर देगी
MSP की गारंटी से महँगाई बढ़ेगी, निर्यात पर असर पड़ेगा, छोटे किसानों के उत्पाद गारंटी कानून के कारण घरों में सड़ जाएँगे, और भारत की अर्थव्यवस्था इससे हिल जाएगी।