Friday, April 19, 2024

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विदेश में झुमका चुराने वाली बंगाली अभिनेत्री बनीं CAA विरोध का नया चेहरा, कहा- कागज़ नहीं दिखाएँगे

स्वस्तिका मुखर्जी सिंगापुर में दुकान से सोने का झुमका चुराते हुए पकड़ी गई थी। उस समय यह बंगाली अभिनेत्री एक बंगाली फिल्म महोत्सव के सिलसिले में सिंगापुर में थीं। अभिनेत्री को वहाँ के एक पॉश मॉल के शोरूम में सोने के झुमके चुपके से अपने हैंडबैग में रखते हुए पकड़ा गया था।

‘Behen Ki Lohri’ हिन्दुओं व सिखों के त्योहार का उड़ाया मजाक, कंगना की बहन को बोला था ‘चांडाल’

ख़ुद को स्टैंड-आप कॉमेडियन बताने वाले अतुल खत्री ने हिन्दुओं और सिखों के महत्वपूर्ण त्योहार लोहड़ी का सोशल मीडिया पर मज़ाक उड़ाया। कई लोगों को खत्री की बात अश्लील भी लगी और उन्होंने इस पर आपत्ति जताई। खत्री ने लिखा कि वो 'बहन की लोहड़ी (Behen Ki Lohri)' में जा रहे हैं।

कबीरा इस संसार में भाँति-भाँति के कामरेड्स: कथा कामरेड क्रांति कुमार की

अब क्रांति कुमार आम इंसान नहीं रहे। अब क्रांति कुमार कामरेड क्रांति कुमार हो गए हैं। कामरेड क्रांति कुमार ने ट्विटर पर संविधान पढ़ा था और राजनीति शास्त्र की बारीकियाँ उसने एक बुर्जुआ मित्र के साथ पिज्जा ऑर्डर करते वक़्त मुफ्त कूपन इस्तेमाल करते हुए सीखीं थीं।

मैथिली में क्यों वायरल हो रही ‘हम देखेंगे’, क्या मिथिला से भी है फैज का कनेक्शन!

यह मैथिली की खूबसूरती है कि 'हम देखेंगे' की 'बुतपरस्ती' सगुण-निर्गुण ब्रह्म में बदल जाती है। लेकिन, फैज कट्टर पाकिस्तानी थे। यह बात सालों पहले हरिशंकर परसाई दुनिया को बता चुके हैं।

‘आपके संघर्ष, आपकी लड़ाई सब बेकार अगर हिन्दुओं से घृणा न करें’ – रंगोली चंदेल ने खोली गिरोह की गाँठें

"यदि हम हिंदुओं से घृणा नहीं करते हैं, अपनी सरकार को या सुरक्षा बलों को खलनायक नहीं बताते, तो यहाँ आपको सराहा नहीं जाएगा। सराहा तब जाएगा जब आप देश के भविष्य के बारे में निराशावादी हों, पाकिस्तान से और उसके आतंकियों से प्यार करें... इसलिए क्षमा करें मुझे ऐसे प्यार की जरूरत नहीं।"

मैं ट्विटर पर किए गए अटैक के आधार पर अपने विचार तय नहीं करता: Zoho चीफ ने ‘लिबरल्स’ को दिया करारा जवाब

‘लिबरल’ बुलियों ने जोहो के ग्राहकों और कर्मचारियों से कहा कि ‘वे वही करें जो उनका अंतरात्मा कहता है।’’ साथ ही वेम्बू को धमकी भी दी गई कि अगर वे इस लाइन से नहीं हटेंगे, तो उन्हें सोशल बायकॉट का भी सामना करना पड़ेगा।

फैज़ अहमद फैज़: उनकी नज़्म और वामपंथियों का फर्जी नैरेटिव ‘हम देखेंगे’

सिर्फ मूर्तियों को नष्ट किए जाने की कल्पना मात्र और केवल अल्लाह का नाम ही इस दुनिया में रहना चाहिए, ये सोच मात्र ही इस कविता का विरोध करने के लिए काफी होना चाहिए ना? या फिर लिबरल्स को ये लगता है कि उनकी भावनाएँ दूसरों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण हैं?

हिंदुओं का नरसंहार करने वाले इस्लामी अक्रांता सागरिका घोष को लगते हैं देशभक्त और आजादी के परिंदे

लिबरल गैंग को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनका कहा सच है या झूठ। वे केवल अपने एजेंडे की परवाह करते हैं। उसे आगे बढ़ाने के लिए हिंदुओं पर क्रूर अत्याचार करने वाले इस्लामी शासकों का महिमामंडन करते हैं।

कानून से खेलो, हिंदुत्व की कब्र खोदो… क्योंकि वे जब आएँगे सारे गुनाह दफन हो जाएँगे

वक्त है चेत जाने का। खुद की आवाज बनने का। गिरोह घात लगाए बैठा है। उसे नहीं कुचला तो वह गजवा-ए-हिंद के ख्वाब बुनने वालों के पीठ पर हाथ फेरेगा और आपको भगवा आतंकवादी घोषित कर देगा।

2019 की इस मजहबी उन्मादी आग से 2024 में कितनी रोशन होगी भाजपा?

2024 बहुत दूर है। उस समय क्या होगा, यकीनी तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन, जितने जोर-शोर से CAA+NRC को मुस्लिम विरोधी बताया जाएगा, इस्लाम विरोधी भावनाएँ गहराती जाएँगी। वैसे भी इस उन्माद के सारे सूत्र भीड़ अपने हाथ ले ही चुका है।

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