Friday, June 21, 2024

विचार

कश्मीरी औरतें जो हवस और जहन्नुम झेलने को मजबूर हैं

दहशतगर्दी के शुरुआती दिनों में आतंकियों को हीरो समझा जाता था। उन्हें मुजाहिद कहकर सम्मान भी दिया जाता था। लोग अपनी बेटियों की शादी इनसे करवाते थे लेकिन जल्दी ही कश्मीरियों को यह एहसास हुआ कि आज़ादी की बंदूक थामे ये लड़ाके असल में जिस्म को नोचने वाले भेड़िये हैं।

नेहरू-शेख की दोस्ती के कसीदों में ही छिपा है कश्मीर का शोकगीत, खुसरो की कविता से नहीं बदलेगा इतिहास

खुसरो की कविताओं से पहले कल्हण की राजतरंगिणी को याद करना जरूरी है, जिसमें कश्मीर को 'कश्यपमेरू' बताया गया है। कहा जाता है कि महर्षि कश्यप श्रीनगर से तीन मील दूर हरि-पर्वत पर रहते थे। जहाँ आजकल कश्मीर की घाटी है, वहाँ अति प्राचीन प्रागैतिहासिक काल में एक बहुत बड़ी झील थी, जिसके पानी को निकाल कर महर्षि कश्यप ने इस स्थान को मनुष्यों के बसने योग्य बनाया था।

ओवैसी जैसे लोग शरीर पर विष्ठा लेप लेंगे अगर मोदी कह दे कि फ्लश करना चाहिए

ओवैसी ब्रीड के तमाम नेता हमेशा भीम-मीम से लेकर तमाम अदरक-लहसुन करते रहते हैं। और सबके केन्द्र में यही बात होती है कि देखो हिन्दू तुमको काटने की तैयारी में है, तुम्हारे बकरीद का बकरा छीन लेगा, तुम्हें अब बच्चे पैदा नहीं करने देगा, तुम्हारे बच्चों को नपुंसक बना देगा।

370 का हटना: देश के स्वाभिमान और विकास का सूरज उगना… लेकिन विरोधियों का मुरझाना

तुष्टीकरण और वोटबैंक की राजनीति करने वाले दलों के लिए 370 के उन्मूलन का विरोध सैद्धांतिक नहीं, अपितु अवसरवादी और पोल खुलने के भय से उपजा है। क्योंकि वे जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर से इस कलंक के समाप्त होने के बाद अब वहाँ निजी निवेश के द्वार खुल जाएँगे, जिससे वहाँ विकास की संभावना बढ़ेंगी।

कश्मीर पर The Wire की कवरेज घटिया हिन्दूफ़ोबिक प्रोपेगंडा के अलावा कुछ नहीं है

वायर की पूरी कश्मीर रिपोर्टिंग केवल और केवल झूठ और प्रोपेगंडा पर ही आधारित है। यही नहीं, इसका मकसद भी केवल भारत की बुराई नहीं, बल्कि 'हिन्दू फ़ासीवाद', 'डरा हुआ मुसलमान' के दुष्प्रचार से हिन्दुओं को बदनाम करने के साथ दबाए रखना, और 'इस्लाम खतरे में है' के हौव्वे को भड़काकर जिहाद को बढ़ावा देना है।

कश्मीर में पंडित सुरक्षित है और कट्टरपंथी आतंक में हैं: भारतीय मीडिया की पाक अकुपाइड पत्रकारिता

क्या लद्दाख के बौद्ध लोगों का डर नाजायज है कि जब कश्मीरी आतंकी वहाँ लहसुन-ए-हिन्द चिल्लाकर नारा-ए-अदरक लगाते आएँगे तो उन्हें वहाँ से भाग कर कहीं और नहीं जाना पड़ेगा?

राहुल गॉंधी वो बच्चा हैं जिसे स्कूल नहीं जाना पर क्लासरूम में सीट सबसे आगे चाहिए

लोकतंत्र की दुहाई देकर राहुल गॉंधी के लिए पहली कतार में सीट मॉंगने का कोई मौका जाया नहीं करने वाली कॉन्ग्रेस के निशाने पर अब लोकतांत्रिक मूल्य हैं। स्वतंत्रता दिवस के जश्न के मौके पर लाल किले से सोनिया-राहुल का गायब रहना और प्रणब मुखर्जी को ​भारत रत्न से नवाजे जाने के समारोह से उनकी दूरी बानगी भर।

जल-संकट, प्लास्टिक जैसी कई समस्याएँ हल हो गईं होतीं, अगर हम अपना देसी ज्ञान सहेज पाते

इस तकनीक से दो से तीन दिन तक पौधों को पानी मिलता रहता है। इस्तेमाल करने के बाद फेंक दी जाने वाली बोतलों का इस तरह से दोबारा इस्तेमाल भी होता है।

‘मेरा लेखन तभी सार्थक है, जब कोई एक व्यक्ति भी कुछ अच्छा और सही करने के लिए प्रेरित हो सके’

मेरे लेखन का उद्देश्य यही है कि कोई एक व्यक्ति भी कुछ अच्छा और सही करने के लिए प्रेरित हो सके तो मैं अपना लेखन सार्थक मानूँगी। मेरी आगामी दो किताबें भी इसी उद्देश्य के साथ आ रही हैं। जिनमें से एक उपेक्षित स्त्रियों को केंद्र में रखकर लिखा गया कहानी संग्रह है और दूसरी किसानों से जुड़ी, खेती से जुड़ी, असल समस्याओं और किसानों के जीवन के भीतर की कहानी पर आधारित है।

The Wire को भारत की हर चीज़ से दिक्कत है, चाहे वो झंडा हो, मंगलयान हो, या ISRO पर फिल्म हो

मज़े की बात यह कि 2001 में संघ के मुख्यालय पर तिरंगा फ़हराए जाने पर तालियाँ पीटने वाला वायर कश्मीर में तिरंगे की सम्प्रभुता पर उसी साँस में सवाल खड़े कर रहा है! दोगलेपन की ऐसी सानी मिलना मुश्किल है।

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