कोरोना महामारी की शुरुआत से ही फर्जी खबरों को फैलाने का कारोबार तेजी से चल रहा है। विपक्षी पार्टियाँ और वामपंथी पत्रकार इस काम में लगातार अपना योगदान दे रहे हैं। तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर ये बताया जा रहा है कि कैसे मोदी सरकार ने भारत की जनता को ठगा।
बात चाहे आम ट्रोलर्स की हो, बड़े-बड़े बुद्धिजीवियों की हो, विपक्ष के दिग्गज नेताओं की हो या फिर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की, कोई इस दाग से अछूता नहीं है। सबने 2020 से लेकर अब तक न जाने कितनी तरह फेक न्यूज फैलाकर अपना एजेंडा चलाया।
आज हम उन्हीं टॉप फेक न्यूज के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जिन्हें महामारी की शुरुआत से अब तक फैलाया गया:
- हाल में दावा हुआ कि दुनिया भर के कई देशों में फैलने वाले कोरोना का डबल म्यूटेंट भारतीय है। जबकि सच्चाई ये है कि ये डबल म्यूटेंट कई अन्य देशों में पाया गया है।
- ‘सीएम योगी कुम्भ जाकर हुए कोरोना पॉजिटिव’, यह खबर भी फैलाई गई। कॉन्ग्रेस नेत्री अलका लांबा ने अपने झूठ को सही साबित करने के लिए 2019 की तस्वीर शेयर की।
- प्रशांत भूषण ने हिपोथीसिस शेयर करके बताया कि कोविड-19 को रोकने में मास्क अप्रभावी है।
- अस्पतालों के बाहर बेड न मिलने वाले मरीजों की तमाम शिकायतों के बीच दिल्ली सीएम ने कहा था कि दिल्ली में बेड्स की कमी नहीं है।
- हर राज्य को अपने हिसाब से काम करने की आजादी देने वाली केंद्र सरकार के लिए दि प्रिंट के शेखर गुप्ता ने आरोप लगाया कि देश में बढ़ रहे कोरोना के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है क्योंकि उन्होंने महामारी के समय में राज्यों पर अपना फैसला थोपा।
- केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली में फैलते संक्रमण पर रिपोर्ट जारी करने के बाद भी AAP स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि महामारी खत्म होने की कगार पर है।
- वैक्सीन के नाम पर कई जगह वरिष्ठ नागरिकों से उनके फोन पर आने वाले ओटीपी माँगे गए। बाद में पता चला कि ये हरकत जालसाजों की थी।
- वैक्सीन के बारे में भ्रम फैलाते हुए दावा किया गया कि मुरादाबाद जिले के वार्ड ब्वॉय को वैक्सीन लेने के बाद अपनी जान गँवानी पड़ी। हालाँकि रिपोर्ट में सामने आया कि मौत का वैक्सीन से कोई संबंध नहीं है।
- कोरोना वायरस आने के बाद बाबा रामदेव इम्युनिटी बढ़ाने के लिए लगातार अपील कर रहे थे। ऐसे में ट्रोलर्स ने उनकी पुरानी तस्वीर के साथ ये फैलाया कि वह अत्यधिक गोमूत्र पीने से बीमार हुए।
- कारवाँ पत्रिका ने फैलाया कि ICMR के टास्क फोर्स में 21 वैज्ञानिक मोदी सरकार को कोरोना से निपटने की सलाह देने वाले थे, लेकिन उन्हें नजरअंदाज किया गया। वहीं ICMR ने अपने बयान में कहा कि खबर पूरी तरह झूठी है।
- द वायर ने दावा किया कि मजहब को देखकर अहमदाबाद सिविल अस्पताल में मरीजों को अलग अलग वार्ड में रखा जा रहा है। जबकि राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि किसी भी मरीज के लिए धार्मिक आधार पर विभाजन नहीं किया गया है। कोरोना मरीजों को उनके लक्षण, उनकी गंभीरता के आधार पर और डॉक्टरों की सिफारिशों आदि पर इलाज किया जा रहा है।
- द टेलीग्राफ ने अपनी एक रिपोर्ट में क्वारंटाइन में भी अस्पृश्यता नाम से रिपोर्ट प्रकाशित की। असली खबर में दोषी कोई सिराज अहमद था, लेकिन द टेलीग्राफ ने प्रोपगेंडा चलाने के लिए तस्वीर में आरएसएस की फोटो लगाई, जिसके कारण वामपंथी धड़ा बिना सच्चाई जाने आरएएस को भरा बुरा कहने लगा।
- वामपंथन अरुंधति रॉय ने भारत में कोरोना प्रसार पर अफवाह फैलाई। रॉय ने कहा कि मोदी सरकार समुदाय विशेष के लिए डिटेंशन सेंटर बनवा रही है और कोरोना की आड़ में मीडिया को दबा रही है।
- वामपंथी मीडिया गिरोह के दिग्गज पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने केंद्र सरकार पर पंजाब के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया। सरदेसाई ने कहा कि महामारी से लड़ने के लिए पंजाब को सिर्फ 71 करोड़ रुपए मिले हैं जबकि हकीकत में ये आँकड़ा 247 करोड़ का था।
- कॉन्ग्रेस नेता उदित राज ने झूठ फैलाने की कोशिश की कि 500 रुपए की कोरोना टेस्ट किट को ठुकरा कर पीएम मोदी ने गुजरात कंपनी को फायदा दिलवा दिया, जो कोरोना किट 4500 रुपए में बेच रही है।
- कोरोना संकट में जब मजदूर अपने घर जाना चाहते थे तब मोदी सरकार को घेरने के लिए रवीश कुमार ने लालू यादव का गुणगान किया और ये कह दिया कि श्रमिक ट्रेन में मजदूरों से किराया लिया जाएगा।
- कोरोना से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए सरकार ने आरोग्य सेतु ऐप को लॉन्च किया था। उस समय राहुल गाँधी ने झूठ फैलाया था कि ये ऐप लोगों के डेटा और प्राइवेसी लेता है।
- भारतीय वायुसेना ने पिछले साल कोरोना वॉरियर्स के स्वागत में हेलीकॉप्टर से फूल बरसाए थे। हालाँकि, विपक्षी नेताओं और पत्रकारों ने इस फोटो के एडिटिड वर्जन पेश किए और आरोप लगाया कि वायुसेना ने लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों पर फूल बरसाए।
- कोरोना संक्रमण के समय जब हर किसी को वैक्सीन का इंतजार था, तब AIMIM नेता अबु फाजल ने वैक्सीन पर झूठी जानकारी देते हुए कहा था कि उनके पास पर्याप्त सबूत है कि सरकार वैक्सीन के बहाने नपुंसक बनाने की तैयारी कर रही है।
- महाराष्ट्र में बढ़ते कोरोना की बाबत यह भी फैलाया गया था कि मुंबई में 10 दिन का मिलिट्री लॉकडाउन लगने वाला है। हालाँकि पीआईबी ने दावों का भंडाफोड़ कर दिया।
- चीन के माल पर रोक लगने के बाद मीडिया गिरोह ने ये फैलाया कि 25 करोड़ लोग बीमार होने वाले हैं इसलिए सरकार विदेश से टेस्टिंग किट खरीदे। ये उस समय की बात है, जब देश में तेजी से स्वास्थ्य उपकरण का इंतजाम होना शुरू हो गया था।
- इस्लामी पत्रकारिता की पैरोकार राणा अयूब ने झूठी खबर शेयर करके फैलाया कि प्रवासी मजदूर का बच्चा भूख से मर गया। जबकि रेलवे ने कहा कि बच्चे की मौत ट्रेन से उतरने के 5 घंटे पहले हो गई थी।
- केरल मॉडल पर कोरोना के शुरुआती दिनों पर कई मीडिया गिरोह ने रिपोर्ट छापी कि वहाँ से अन्य राज्यों को सीखना चाहिए। हालाँकि सच्चाई यह निकली कि दिसंबर तक केरल अकेला राज्य था, जहाँ कोरोना केस लगातार बढ़ रहे थे।
- राहुल गाँधी ने बिहार चुनाव के मद्देनजर वैक्सीन मामले में जनता को बरगलाया जबकि पीएम मोदी पहले बता चुके थे कि वैक्सीन की सुविधा पहले किस-किस को मिलेगी।
- एनडीटीवी ने स्वदेशी वैक्सीन को लेकर झूठ फैलाया, जिस पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने संज्ञान लेकर कहा कि एनडीटीवी पर चल रही खबर फर्जी है।
- न्यूयॉर्क टाइम्स में मोदी सरकार के विरोध में एक खबर छपी, जिसमें बताया गया कि कैसे लॉकडाउन की अव्यवस्था ने कोविड 19 को देश भर में फैलाया।
- द हिंदू ने डेनमार्क के प्राइम मिनिस्टर के हवाले से भारत में कोरोना से उपजे हालातों पर सवाल उठाया। लेकिन स्वयं वहाँ के राजदूत ने द हिंदू की इस खबर को झूठ करार दे दिया।
- द वायर ने श्रमिकों से किराया लेने की फर्जी खबर फैलाई, जिसके बाद उत्तर रेलवे ने उसे फर्जी करार करार दिया। साथ ही खबर को तथ्यों से अलग बताया।
- सोशल मीडिया पर महामारी का फायदा उठा कहा गया कि यदि व्हॉट्सएप ग्रुप में किसी ने कोरोना संबंधी जोक भेजा तो वह पकड़ा जाएगा। इस खबर पर सरकार ने स्पष्ट बताया कि उन्होंने ऐसा कोई निर्देश जारी नहीं किया।
- एक क्लिप वायरल हुई। WHO के हवाले से जिसमें दावा किया गया कि 72 से 108 घंटे भारत के लिए भारी है। मगर, इस पर संज्ञान लेकर WHO ने खुद कहा कि उन्होंने ऐसी चेतावनी जारी नहीं की।
- प्रियंका गाँधी समेत कई नामी चेहरों ने दावा किया यूपी में कोरोना मरीज को अस्पताल में भर्ती होने के लिए CMO से अनुमति पत्र लेना होगा। हालाँकि यूपी सरकार ने इसका फैक्ट चेक करते हुए बताया कि ये खबर झूठी है और ऐसे कोई निर्देश नहीं दिए गए।
- द लॉजिकल इंडियन ने बताया कि भाजपा नेता कोरोना संक्रमित होने के बाद कुंभ में गए, जबकि हकीकत ये थी कि वह कुंभ से लौटकर कोरोना संक्रमित हुए।
- भाजपा सांसद वीके सिंह के एक ट्वीट पर, जिसे उन्होंने नागरिक की मदद के लिए शेयर किया था, उसमें दावा किया गया कि कोविड की हालत इतनी ज्यादा खराब है कि एक केंद्रीय मंत्री को भी अपने भाई के लिए ट्विटर पर बेड के लिए ‘भीख’ माँगनी पड़ रही है।
- द न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट में बताया कि कोरोना की ड्यूटी के दौरान मरने वाले स्वास्थ्यकर्मियों के लिए 50 लाख की बीमा योजना केंद्र सरकार ने वापस ले ली है जबकि सच ये है कि अप्रैल 24, 2021 के बाद कोरोना वॉरियर्स के लिए एक नई व्यवस्था आने वाली है, जिसके तहत उन्हें सहायता मिलेगी।
- महामारी के शुरुआती दौर में असम के ऑल इंडिया यूनाइटिड डेमोक्रेटिक फ्रंट के नेता अमिनुल इस्लाम ने क्वारंटाइन सेंटर्स को लेकर कहा कि वहाँ इंजेक्शन देकर मारा जाता है। वीडियो वायरल होने पर हुए गिरफ्तार।
- ईरान में कोरोना वायरस के चरम पर पहुँचने पर दावा किया गया कि पैगंबर इत्र से इस्लामिक व्यक्ति कोरोना वायरस से रोगियों को ठीक कर रहा है।
- इंदौर पुलिस ने इरशाद नाम के युवक को गिरफ्तार किया। उसका कहना था कि इलाज की आड़ में जो डॉक्टर उनके मोहल्लों में आ रहे हैं, वे जहरीला इंजेक्शन दे रहे हैं। इसलिए उनका बहिष्कार करें।
- 28 मार्च 2020 को एनडीटीवी ने एक यूनिवर्सिटी के हवाले से कहा था कि भारत में 25 करोड़ मामले आ सकते हैं। हास्यास्पद बात ये है कि एनडीटीवी को इस खबर के लिए यूनिवर्सिटी से ही डाँट पड़ गई। बाद में उसे खबर तक हटानी पड़ी।
- दि प्रिंट के शेखर गुप्ता ने महामारी की शुरुआत में दावा किया था कि सिंगापुर से एक भी मौत का मामला नहीं है। हालाँकि बाद में उनका झूठ पकड़ा गया और पता चला कि वहाँ भी 2 मौत हो चुकी है।
- रूस में पुतिन सरकार पर सवाल उठाने के लिए एक शेर की सड़कों पर घूमते हुए तस्वीर सामने आई। इसे लेकर कहा गया कि लोग सेल्फ क्वारंटाइन रहें, इसलिए ऐसा किया गया है। पड़ताल में पता चला तस्वीर 2016 की है।