साल 2008 में हुए मुंबई में आतंकी हमलों का सरगना तहव्वुर राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित करके गुरुवार (10 अप्रैल 2025) को लाया गया है। भारत पहुँचते ही NIA ने उसे आधिकारिक तौर पर गिरफ्तार कर लिया। हवाई अड्डे पर ही डॉक्टरों की एक पैनल ने उसका मेडिकल किया। इसके बाद उसे पाटियाला हाउस स्थित NIA कोर्ट में पेश किया जाएगा। इस दौरान सुरक्षा के अभूतपूर्व प्रबंध किए गए।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 64 साल के तहव्वुर को NIA के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक विशेष अमेरिकी विमान से लॉस एंजिल्स से दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर लाया गया। यह विमान गल्फस्ट्रीम है, जिसका कॉल साइन AOJ 96M है। दिल्ली एयरपोर्ट पर दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के SWAT कमांडो तैनात हैं। इसके अलावा, सुरक्षा को देखते हुए जगह-जगह बैरिकेडिंग की गई है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने गुरुवार शाम को 26/11 के मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा को औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया। यह गिरफ्तारी अमेरिका से उसके सफल प्रत्यर्पण के बाद IGIA, नई दिल्ली पहुंचने के तुरंत बाद की गई।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 10, 2025
राणा को अमेरिका के लॉस एंजिल्स से एक… pic.twitter.com/FvtuaqX9IT
NIA की DIG जया राय, IG आशीष बत्रा और SP प्रभात कुमार एनआईए की टीम को लीड कर रहे है। इनकी अगुवाई में तहव्वुर को पाटियाला हाउस कोर्ट में लाया जाएगा। कोर्ट को खाली करा लिया गया है। कोर्ट के आसपास किसी को भी जाने की इजाजत नहीं है। एनआईए मुख्यालय को भी सेनेटाइज कर लिया गया है। जगह-जगह डॉग स्क्वॉयड तैनात किए गए हैं।
वहीं, तहव्वुर की ओर से एडवोकेट पीयूष सचदेवा कोर्ट में पैरवी करेंगे। दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने सचदेवा को नियुक्त किया है। पीयूष सचदेवा ने सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए अपनी तस्वीरें प्रसारित नहीं करने का मीडिया से अनुरोध किया है। तहव्वुर को NIA के विशेष जज चंद्रजीत सिंह की कोर्ट में पेश किया जाएगा। एडवोकेट सचदेवा और NIA के वकील नरेंद्र मान भी कोर्ट पहुँच चुके हैं।
तिहाड़ के हाई सिक्योरिटी सेल में रखा जाएगा तहव्वुर
अमेरिका से प्रत्यर्पित तहव्वुर राणा को दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल में एक हाई सुरक्षा वार्ड में रखा जाएगा। उसके रखने के लिए जेल में सभी आवश्यक तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं। उसे तिहाड़ के अंडा सेल में रखा जाएगा। यह सेल हर तरफ से सुरक्षित मानी जाती है। इस सेल का आकार अंडे की तरह होता है, इसलिए अंडा सेल कहा जाता है।
अंडा सेल खूंखार अपराधियों एवं आतंकियों तथा हाई रिस्क वाले कैदियों के लिए बनाया गया है। इस सेल में कोई खिड़की भी नहीं होती है। सुरक्षा को देखते हुए इसमें बिजली भी नहीं होती है। इसलिए इसमें आमतौर पर दिन में भी अंधेरा जैसा होता है। इसकी दीवारों बेहद मोटी और लोहे-स्टील की मोटी-मोटी चादरों से बनी होती हैं।
कहा जाता है कि इस सेल पर बम का भी कम प्रभाव पड़ता है। इसमें कोई बाहर से हमला ना कर सके, इसको देखते हुए इसके चारों तरफ करंट वाले तार लगाए गए होते हैं। इस सेल के आसपास के हर क्षेत्र की निगरानी सीसीटीवी कैमरों से की जाती है और अपराधी पर 24 घंटे नजर रखी जाती है। इसकी निगरानी तिहाड़ में बने कंट्रोल रूम से की जाती है।
पीएम मोदी के प्रयासों से लाया गया खतरनाक आतंकी
मुंबई हमलों के इस मास्टरमाइंड को भारत लाने के लिए लगातार प्रयास किए जाते रहे हैं। अमेरिका में जब डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने तो इस प्रक्रिया में तेजी आ गई। फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण का ऐलान किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वॉशिंगटन में हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने इसका ऐलान किया था।
उस समय डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था, “तहव्वुर राणा को भारत भेजा जाएगा, जहाँ उसे इंसाफ मिलेगा।” तहव्वुर राणा ने अपने भारत प्रत्यर्पण को रोकने के लिए कई उपाय किए थे। वह लगातार अमेरिकी कोर्ट का चक्कर लगा रहा था। हालाँकि, उसे राहत नहीं मिली। तहव्वुर ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में 27 फरवरी 2025 को ‘इमरजेंसी एप्लिकेशन फॉर स्टे’ दायर की थी।
यह याचिका जस्टिस एलेना कागन के पास भेजी गई थी, जो सुप्रीम कोर्ट की एसोसिएट जस्टिस और नाइंथ सर्किट की जस्टिस हैं। तहव्वुर ने दावा किया था कि भारत आने पर उसकी जान को खतरा है और उसे टॉर्चर का शिकार होना पड़ सकता है। उसने दलील थी कि उसका पाकिस्तानी मूल और मुस्लिम होना उसे भारत में खतरे में डाल सकता है।
हालाँकि, जस्टिस कागन ने उसकी अर्जी खारिज कर दी थी। इसके बाद उसने फिर से कोशिश की थी, लेकिन उसके बाद भी सुप्रीम कोर्ट ने इस आतंकी को कोई राहत नहीं दी। बता दें कि भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि है। इसी संधि के तहत यह निर्णय लिया गया है। हालाँकि, उसके प्रत्यर्पण के लिए अमेरिका द्वारा कुछ शर्तें निर्धारित की गई हैं।
शर्तों के तहत तहव्वुरा राणा का प्रत्यर्पण
तहव्वुर राणा का अमेरिका से प्रत्यर्पण साल 1997 के भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत हुआ है। इस संधि के तहत भारत सरकार कुछ सख्त नियमों एवं शर्तों से बँधी हुई है। संधि के अनुसार, जिस व्यक्ति या अभियुक्त का प्रत्यर्पण होगा, उसके अधिकारों का सम्मान किया जाएगा। इसके तहत तहव्वुर राणा को भारत में केवल उसी अपराध के लिए मुकदमा चलाया जाएगा, जिसके लिए प्रत्यर्पण हुआ है।
अगर भारत सरकार किसी अन्य अपराध के लिए तहव्वुर पर कार्रवाई करना चाहती है तो यह संभव नहीं होगा। संधि की एक शर्त यह भी है कि प्रत्यर्पण से पहले किए गए किसी भी अपराध के लिए तहव्वुर राणा को किसी तीसरे देश के हवाले नहीं किया जा सकेगा। इसके अलावा, उसे उसके खिलाफ लगाए आरोपों की भी निष्पक्ष सुनवाई की जाएगी, यह संधि की शर्त है।
संधि के तहत फाँसी की सजा पर भी रोक का प्रावधान है। संधि के अनुच्छेद-8 की धारा-1 में कहा गया है कि जिस मामले में प्रत्यर्पण की माँग की जा रही है, अगर उसमें प्रत्यर्पण की माँग करने वाले देश में मौत की सजा का प्रावधान है और जिस देश से प्रत्यर्पित किया जाना है, उसमें मौत की सजा का प्रावधान नहीं है तो प्रत्यर्पण की अपील खारिज की जा सकती है।
समझौते के पैराग्राफ-1(B) में कहा गया है कि प्रत्यर्पण की माँग करने वाले देश को यह आश्वासन देना होगा कि आरोपित को फाँसी की सजा सुनाए जाने की दशा में सजा पर अमल नहीं होगा। इस अनुच्छेद की धारा-2 में कहा गया है कि प्रत्यर्पण की माँग करने वाले देश को आश्वासन देना होगा कि अगर उनकी कोर्ट की ओर से आरोपित को मौत की सजा देती है तो उस पर अमल नहीं किया जाएगा।
कौन है तहव्वुर राणा और उसका साथी कोलमैन हेडली
अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने इस साल जनवरी के अंतिम सप्ताह में तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पित करने की मंजूरी दी थी। तहव्वुर पाकिस्तानी मूल का कनाडाई/अमेरिकी व्यवसायी है। वह शिकागो में ‘फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज’ नाम की फर्म चलाता था। तहव्वुर पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी ISI और वहाँ से संचालिक इस्लामी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का वह सक्रिय सदस्य है।
मुंबई हमले की जाँच करने वाली एजेंसी NIA ने 405 पन्नों की चार्जशीट में तहव्वुर राणा को आरोपित बनाया है। चार्जशीट में कहा गया है कि वह हमले का सरगना डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद सईद गिलानी की मदद कर रहा था। तहव्वुर और हेडली ने मुंबई हमले का ब्लूप्रिंट तैयार किया था। तहव्वुर ने आतंकियों को बताया था कि मुंबई में आतंकियों को कहाँ ठहरना है और कहाँ-कहाँ हमले करने हैं।
तहव्वुर ने यह भी बताया था कि उसे जानकारी थी कि हेडली किससे मिल रहा है और उनसे क्या बात कर रहा है। उसे हमले की योजना और टारगेट के बारे में भी बता था। तहव्वुर राणा अपने बचपन के दोस्त और आतंकियों के मददगार डेविड कोलमैन हेडली की आर्थिक सहित हर तरह से मदद करके इस्लामी आतंकियों का सपोर्ट कर रहा था।
कनाडाई-अमेरिकी नागरिक हेडली की माँ अमेरिका और उसके अब्बू पाकिस्तानी मूल के थे। अमेरिकी अधिकारियों ने अक्टूबर 2009 में हेडली को अमेरिका के शिकागो से गिरफ्तार किया था। अमेरिकी कोर्ट ने 24 जनवरी 2013 को मुंबई में आतंकी हमलों में शामिल होने का दोषी मानते हुए हेडली को 35 साल जेल की सजा सुनाई थी। भारत हेडली के प्रत्यर्पण की भी लगातार माँग कर रहा है।
तहव्वुर और हेडली बचपन के दोस्त हैं। हेडली भी शुरुआती 5 साल की पढ़ाई पाकिस्तान के हसन अब्दाल कैडेट स्कूल में की है। इसके बाद वह परिवार के साथ अमेरिका चला गया। तहव्वुर राणा भी इसी स्कूल में पढ़ा है। बाद में वह पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर के रूप में काम करने लगा। फिर वह कनाडा चला गया। कुछ साल के बाद उसे कनाडा की नागरिकता मिल गई।
तहव्वुर की ‘फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज’ नाम की कंसल्टेंसी फर्म की एक शाखा मुंबई में भी थी। इसी फर्म के सहारे कोलमैन हेडली हेडली भारत आया था और हमले करने वाली जगहों की रेकी की थी। तहव्वुर राणा फिलहाल अमेरिका के लॉस एंजिल्स के मेट्रोपोलिटन डिटेंशन सेंटर में हिरासत में है। उसे एफबीआई ने साल 2009 में शिकागो से दबोचा था।
बता दें कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई में लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने हमला किया था। आतंकियों ने मुंबई के लियोपोल्ड कैफे, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, होटल ताज पैलेस, होटल ओबेरॉय ट्राइडेंट, कामा हॉस्पिटल, नरीमन हाउस, मेट्रो सिनेमा और सेंट जेवियर कॉलेज ने निशाना बनाया था। वे अपने साथ भारी मारा मात्रा में IED, RDX, हैंड ग्रेनेड और AK-47 लेकर आए थे।
इस हमले में 166 लोग मारे गए थे और 300 लोग मारे गए थे। मृतकों में अमेरिकी सहित कुछ विदेशी नागरिक भी शामिल थे। इन आतंकियों के खिलाफ NSG, मरीन कमांडो फोर्स, मुंबई पुलिस, RAF, CRPF, मुंबई फायर ब्रिगेड और रेलवे पुलिस फोर्स ने ऑपरेशन चलाया था। इस दौरान एक आतंकी अजमल कसाब को जिंदा गिरफ्तार किया था। साल 2012 में उसे फाँसी दी दे गई थी।