Saturday, April 27, 2024

सामाजिक मुद्दे

किसानों की तबाही का कारण बनेगा कोरोना: गाँवों से होकर देश भर में संक्रमण फैलने का ख़तरा

अभी आलू की खुदाई और भराई का समय है, कुछ दिन में सरसों और फिर गेहूँ की कटाई-मढ़ाई का समय आ जाएगा, लेकिन कोरोना के कहर के चलते ये काम कैसा और कितना हो सकेगा, कहना मुश्किल है। फसलों के नुकसान से किसान तो तबाह होगा ही, दाल-रोटी के दाम भी बढ़ जाएँगे और उससे भी सबसे ज्यादा मुश्किलें अगर किसी की बढ़ेंगी तो वह गरीब-वंचित तबका ही होगा।

सस्ते सौदे में कोरोना से जंग… लेकिन देर करेंगे तो समस्या विकराल होती जाएगी

संभलिए, मान जाइए, घर पर रह कर जंग लड़ने के इस आसान से अवसर को गँवा कर बड़ी जंग मत हारिए। सारा विश्व इस साझी समस्या का शिकार है और इस रूप में ही सही, सम्पूर्ण मानवता अब एक परिवार की तरह नज़र आ रही है। यानी मजबूरियाँ हमें ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ तक ले आई हैं, अब हमें अपने प्रयासों से इसे ‘सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:’ की ओर ले जाना है।

Covid-19: भारत के राष्ट्रीय चरित्र और संकल्प की प्रयोगशाला सिद्ध होगी यह परीक्षा

अगर भारतवासी इन मुश्किल दिनों और कठिन परीक्षाओं के लिए एक परिवार के रूप में, एक राष्ट्र के रूप में एकजुट होते हैं, तो कोरोना को निश्चित रूप से पराजित होना पड़ेगा। भारतीय संस्कृति के आधारभूत विचार ‘वसुधैव कुटुम्बकम्' के निर्णायक आत्मसातीकरण का क्षण निकट है।

जिस डॉक्टर ने कोरोना के बारे में सबसे पहले बताया, उसे ही चीन ने प्रताड़ित किया: करनी वामपंथियों की, भुगत रही पूरी दुनिया

आज एक वामपंथी सनक का सबब पूरी दुनिया देख रही हैl एक राजनीति तो इसके नाम पर भी चल रही है लोग यह कह रहे हैं कि जब जापानी इन्सेफेलाईटिस, जो कि जापान के नाम पर है तो कोरोना वायरस को चाइनीज वायरस क्यों नहीं कह सकते हैंl डोनाल्ड ट्रंप ने तो इसे चाइनिज वायरस कहकर एक नई बहस को जन्म भी दे दिया हैl

निर्भया केस: मदर इंडिया जैसी माँ की दरकार रखता है समाज, ऐसी माँ की नहीं जो बलात्कारी बेटे को खिलाना चाहती है पूड़ी-सब्जी

हम हर ऐसी वारदात के बाद कैंडल मार्च करते हैं। दरिंदों को फाँसी देने की गुहार लगाते हैं। हैशटग चलाते हैं। निंदा करते हैं। न्याय प्रशासन को कोसते हैं। लेकिन एक काम जो हम करना भूल जाते हैं वो होता है ऐसी महिलाओं की सोच को सुधारना.....

चीनी वायरस: जिसे चीन ने ही बनाया, और अब चीन ही इसे ‘चाइनीज वायरस’ कहे जाने से नाराज है

डोनाल्ड ट्रम्प ने स्पष्ट रूप से इसे जैसे ही 'चीनी वायरस' की संज्ञा दी, चीनी मीडिया और अंतरराष्ट्रीय उदारवादियों ने 'विक्टिम कार्ड' खेलकर खुद को पीड़ित साबित करने की भी कोशिश की। उनका दावा है कि महामारी को चीनी बीमारी और चीनी वायरस और वुहान वायरस जैसे शब्द कहना नस्लीय और जातिवादी है।

मानवता के हत्यारे वामपंथियों की जगह भारतीयता के अग्रदूत सावरकर के नाम JNU में मार्ग के मायने

आज JNU में एक मार्ग का नाम सावरकर जी के नाम पर रखा जाना निसंदेह एक दूरदर्शितापूर्ण कदम है। यह कदम उस स्थान पर अत्यावश्यक हो जाता है, जहाँ बैठकर स्वतन्त्रता उपरांत एक खास इतिहासकारों के वर्ग ने भारतीय मूल्यों को धूलि-धूसरित करने का कार्य करते हुए इतिहास की मनगंढ़त व्याख्या हमारे समक्ष रखी।

क्या आपने बहन-बीवी के लिए चाय बनाए हैं, बर्तन धोए हैं? नहीं… तो वेद के ये 4 श्लोक पढ़ डालिए अभी

वेदों में महिलाओं की स्थिति के विषय में जो मंत्र हैं, अगर आप उनको पढ़ेंगे तो महसूस करेंगे कि महिलाओं को वहाँ बहुत अधिक सम्मानजनक दर्जा प्राप्त है। वेद महिलाओं को इतना सशक्त, उदात्त और स्वीकार्य स्थान प्रदान करते हैं कि दुनिया की कोई भी तथाकथित आधुनिक और विकसित सभ्यताएँ उसके बारे में सोच भी नहीं सकती।

जब तक हिन्दू बहुमत में है तभी तक रहेगा लोकतंत्र: भारत की आत्मा में श्रीराम बसे हैं, बाबर नहीं

गुरु नानक ने स्वयं अपनी आँखों से देखे बाबर के अत्याचारों का ऐसा दर्दनाक वर्णन किया है कि आज भी उसको पढ़ कर किसी का भी दिल पसीजे बिना नहीं रह सकता। उस अत्याचारी बादशाह की जामिया मिलिया जैसे राष्ट्रीय संस्थान में जयंती मनाई गई थी।

कुरान में बुर्का शब्द का कहीं भी वर्णन ही नहीं… ‘मर्दों की आँखों की दरिंदगी’ से बचाव वाला तर्क फिर कहाँ पैदा हुआ!

कुरान में हिजाब का जिक्र है, जिसमें महिला का चेहरा दिखता रहता है। बुर्का केवल कट्टरपंथी इस्लाम की सोच है जिसमें वो महिला को जबरदस्ती चेहरा ढकने के लिए बाध्य करते हैं। अरब देशों में बुर्का पहनने का चलन वहाँ पर चलने वाली आँधियों से बचने के लिए था। धीरे-धीरे उस क्षेत्र में इस्लाम धर्म के फ़ैलने के कारण बुर्का इस्लाम का अंग बन गया।

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