Sunday, September 29, 2024
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राहुल बनाम राहुल बनाम राघुल: वायनाड से लोकसभा की दौड़ में तीन ‘गाँधी’

यह बात तो अब सर्वविदित है कि कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी केरल की वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं दो ऐसे और नाम हैं जो लोकसभा चुनाव की दौड़ में शामिल हैं जिनका नाम भी राहुल है। और इस पर भी अचंभे वाली बात यह है कि दोनों राहुल के नाम के साथ ‘गाँधी’ शब्द भी जुड़ा है। आइये आपको बताते हैं कि राहुल गाँधी के अलावा वो दो राहुल कौन हैं, इनमें से एक हैं राहुल गाँधी केई (Rahul Gandhi K E.) और दूसरे हैं राघुल गाँधी के (Raghul Gandhi K)। तीनों राहुल ने केरल से ही लोकसभा चुनाव लड़ने संबंधी नामांकन पत्र दाखिल किया है। मतलब साफ़ है कि तीनों राहुल एक दूसरे के समक्ष  राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के रुप में होंगे जबकि दोनों राहुल ऐसे परिवार से हैं जो कॉन्ग्रेस समर्थक रहा है।

इंडियन एक्प्रेस की ख़बर के अनुसार, गुरुवार (अप्रैल 4, 2019) को वायनाड में रिटर्निंग अधिकारी के समक्ष कॉन्ग्रेस प्रमुख ने नामांकन पत्र दाखिल किया जिसके कुछ घंटे बाद ही राहुल गांधी केई (33) ने एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन प्रस्तुत किया। कोट्टायम के एरुमेली गाँव के निवासी, राहुल गाँधी केई लोक संगीत के विद्यार्थी हैं। उनके छोटे भाई का नाम राजीव गाँधी केई है। उनके पिता, स्वर्गीय कुंजुमोन, एक ड्राइवर थे जो कि कॉन्ग्रेसी होने के साथ-साथ गाँधी परिवार के प्रशंसक भी थे। जबकि राहुल गाँधी केई ने नामांकन दाखिल करने के बाद अपना फोन स्विच ऑफ़ कर दिया, उनके भाई राजीव ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।

तस्वीर आभार: इंडियन एक्सप्रेस

स्थानीय पंचायत सदस्य प्रकाश पुलिकाल ने कहा कि कुंजुमन एक कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता थे और इसलिए उन्होंने अपने बेटों का नाम राहुल और राजीव रखा। इसके अलावा पुलिकाल ने कहा, “बेटों का कॉन्ग्रेस से कोई संबंध नहीं है, लेकिन राजीव सीपीएम का फॉलोवर है। उनकी माँ वलसम्मा एक दैनिक कार्यकर्ता हैं। मुझे लगता है कि उन्होंने घर पर किसी से सलाह नहीं ली है। उनके इलाके में हर कोई उम्मीदवारी के बारे में सुनकर हैरान था।”

चलिए, अब बात दूसरे राघुल गाँधी (30 वर्षीय) की, जो तमिलनाडु के कोयम्बटूर से हैं। राघुल, अगिला इंडिया मक्कल काज़गम के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। राघुल ने बताया कि उनके पिता कृष्णन पी एक स्थानीय कॉन्ग्रेसी नेता थे, जो बाद में अन्नाद्रमुक में चले गए। जब वो कॉन्ग्रेस में थे, तब मेरा जन्म हुआ था और तभी उनका नाम राघुल गाँधी रख दिया गया। राघुल ने यह भी बताया कि उनकी बहन को तब इंदिरा प्रियदर्शिनी नाम दिया गया था।

इसके अलावा राघुल ने कहा कि वायनाड में चुनावी राजनीति में उनका यह तीसरा प्रयास था – 2016 में, उन्होंने तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के दौरान कोयम्बटूर में सिंगनल्लूर सीट से चुनाव लड़ा; और 2014 में, उन्होंने कोयंबटूर नागरिक निकाय चुनावों में चुनाव लड़ा।

गले लगाया, आँख मारी, ‘मोदी से प्यार करता हूँ’ चिल्लाया… लेकिन वो मेरा नाम तक नहीं लेता

बीते दिनों राफेल से लेकर हर राजनैतिक/सामाजिक मुद्दे पर प्रधानमंत्री को घेरने वाले राहुल गाँधी चुनाव के नज़दीक आते ही अपने सुर बदलने लगे हैं या कहें कि बचकानी बातें करने लगे हैं। इस बदलाव का एक कारण यह भी हो सकता है कि वो अब समझ चुके हैं कि उनका ज्यादा एंटी-मोदी होना उनकी राजनैतिक सफलता पर भी सवाल उठा सकता है। घटना कल (अप्रैल 5, 2019) की है जब पुणे में छात्रों के बीच पहुँचकर राहुल गाँधी ने पूरे जोश के साथ पीएम के प्रति अपने अगाध प्रेम को जाहिर करने की कोशिश की। लेकिन, इसके बाद वहाँ जो हुआ उससे राहुल एकदम भौंचक रह गए।

दरअसल, राहुल कह रहे थे कि वो पीएम मोदी से प्यार करते हैं और वास्तव में अपने दिल में पीएम के प्रति कोई नफरत की भावना नहीं रखते लेकिन मोदी राहुल के लिए दिल में गुस्सा रखते हैं। उन्होंने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा, “उनके प्रति मैं सच में गुस्सा नहीं रखता हूँ।” राहुल की इस टिप्पणी के तुरंत बाद उन्हें लगा होगा जैसे पूरे सभागार में उनके लिए तालियाँ बज उठेंगी, लेकिन वहाँ पर पूरा दृश्य ही उल्टा हो गया। राहुल की बात पर विराम लग ही रहा था कि वहाँ मौजूद छात्र मोदी, मोदी कहकर नारे लगाने लगे। इसपर ‘अति शालीन’ स्वभाव वाले राहुल गाँधी सिर्फ़ “ठीक है…ठीक है” ही जवाब दे पाए।

इस घटना के बाद एक बात तो निश्चित है कि जगह-जगह जाकर ‘कॉन्ग्रेस की जीत हो चुकी है’ कहने से पहले अब राहुल नतीजों का इंतजार करने पर ज्यादा गौर करेंगे। 2019 में मोदी की लोकप्रियता पर सवाल उठाने वाले विपक्ष को भी इस घटना से अंदाजा हो गया होगा कि मोदी को सत्ता से निकालने का उनका सपना 2019 लोकसभा चुनावों में तो बिलकुल भी सच नहीं होगा। याद दिला दें कि रिपब्लिक भारत के साथ साक्षात्कार में मोदी ने खुद भी विपक्ष को सलाह दी है कि वो 2024 के चुनावों की तैयारी करें क्योंकि 2019 में तो वाकई मोदी का कोई विकल्प नहीं है।

खैर, पीएम मोदी के प्रति प्रेम दिखाने का काम राहुल गाँधी ने पहली बार नहीं किया है। आपको वो दृश्य तो याद ही होगा, जिसमें राहुल ने भरी संसद में प्रधानमंत्री को गले लगाया था। इस प्रेम की गंभीरता का अंदाजा तो तभी लग गया था जब उन्होंने अपनी जगह पर बैठकर आँख मारी थी। लेकिन उस घटना को आज भी राहुल प्रासंगिक बनाकर याद करते रहते हैं और कहते हैं कि वह उनसे नफरत नहीं कर सकते क्योंकि प्रेम देश के मिजाज और प्रत्येक मत और मजहब में है।

गाँधी जी की ‘अहिंसा’ नीति पर चलने वाले राहुल गाँधी मार्च में चेन्नई में एक कॉलेज के छात्रों से बातचीत के दौरान उल्लेख करते हैं कि उन्होंने संसद में एक बहुत गुस्सैल मोदी को देखा है जो उनकी पार्टी, उनके पिता और माताजी का जमकर आलोचना करता है। हैरान करने वाली बात है कि जो राहुल जनता के बीच जाकर मोदी को चुप कराने के लिए 15 मिनट का समय माँगता था वो अब सिर्फ़ इस बात पर अड़ गया है कि उसे मोदी से बहुत प्यार है।

चुनाव है तो राजनीति होनी तय है, लेकिन भाषणों में इतना फेरबदल करना भी ठीक नहीं है कि जनता न चाहते हुए नतीजों की ‘घोषणा’ कर दे बिलकुल वैसे, जैसे कल हुई। जहाँ एक तरफ कॉन्ग्रेस पार्टी के अध्यक्ष खुद मौजूद हैं और वहाँ की जनता मोदी-मोदी का नाम ले रही है। खैर ऐसा पहली बार नहीं हुआ था, इससे पहले राहुल गाँधी का बेंगलुरु में भी मोदी के नाम के साथ स्वागत हुआ है और उन्हीं की तरह कन्हैया कुमार भी जनता की राय प्रत्यक्ष देख चुके हैं। बेगुसराय की जनता ने कन्हैया का उम्दा स्वागत करने के बाद खूब जोर से हर-हर मोदी के नारे लगाए थे। साथ ही जनता ने यह भी कहा था कि हमारे पास ऐसा प्रधानमंत्री है जो देश के लिए लड़ता है, देश के लिए जीता-मरता है, तो हम किसी और को क्यों वोट दें?

UN का सर्वे: पाकिस्तान की आर्थिक हालत होगी नेपाल, बांग्लादेश से भी बदतर

इन दिनों पाकिस्तान का हाल काफी बुरा है। वहाँ की अर्थव्यवस्था गर्त में चली गई है और महंगाई आसमान छू रही है। जरूरत का हर सामान दुगने-तिगुने दामों पर मिल रहा है। खाने-पीने से लेकर पेट्रोल-डीजल की कीमताें में बेतहाशा बढ़ाेतरी दर्ज की गई है। कंगाली के दौर से गुजर रहे पाकिस्‍तान के लिए एक और बुरी खबर है। संयुक्त राष्ट्र की एक आर्थिक रिपोर्ट में पूर्वानुमान लगाया गया है कि इस साल 2019 में पाकिस्‍तान की जीडीपी वृद्धि दर सबसे कम 4.2% और 2020 में मात्र 4% रह सकती है। बड़ी बात यह है कि रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्‍तान की जीडीपी दर नेपाल, बांग्‍लादेश और मालदीव से भी पीछे रह सकती है।

एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक आयोग (ईएससीएपी) की तरफ से ‘एंबिशंस बियॉन्ड ग्रोथ’ शीर्षक से जारी की गई सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह बात कही गई है कि 2019 में पाकिस्तान की जीडीपी की वृद्धि दर इस क्षेत्र में सबसे कम 4.2% रहने का अनुमान है। जबकि इसी वर्ष बांग्‍लादेश की जीडीपी 7.3%, भारत की 7.5%, मालदीव और नेपाल की 6.5% की दर से बढ़ने का अनुमान है।

पाकिस्तान में पर्यावरणीय पतन खतरनाक स्तर तक पहुँच चुका है, जो कि विकास की उपलब्धियों के लिए खतरा बन रहे हैं। गौरतलब है कि इससे पहले एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भी कहा था कि पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि दर 2019 में सुस्त होकर 3.9% रहेगी। एडीबी ने ‘व्यापक आर्थिक चुनौतियों’ का हवाला देते हुए कहा था कि पाकिस्तान की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2018 में 5.2% से गिरकर 2019 में 3.9% पर आने का अनुमान है।

एशियाई विकास परिदृश्य 2019 के अनुसार, कृत्रि क्षेत्र में सुधार के बावजूद 2018 में पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि दर धीमी पड़ी है। इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान की विस्तारवादी राजकोषीय नीति ने बजट और चालू खाते के घाटे को व्यापक रूप से बढ़ाया और विदेशी मुद्रा का भारी नुकसान किया है। एडीबी ने कहा कि जब तक वृहद आर्थिक असंतुलन को कम नहीं किया जाता है, तब तक वृद्धि के लिए परिदृश्य धीमा बना रहेगा, ऊँची मुद्रास्फीति रहेगी, मुद्रा पर दबाव बना रहेगा।

‘लड़कियो तुम्हारी खुशी किसी लड़के की मोहताज नहीं’- क्यों हो रही है यह पोस्ट वायरल

टीवी सीरियल नव्या के आठ साल पूरे होने पर सीरियल की अभिनेत्री सौम्या सेठ ने एक इमोशनल पोस्ट शेयर की है। स्टार प्लस पर प्रसारित हो चुके इस शो में सौम्या और शबीर शेख ने मुख्य भूमिका निभाई थी। सौम्या फिलहाल अमेरिका में रह रही है। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपनी एक तस्वीर शेयर करते हुए पोस्ट लिखी है, जिसे देखकर ऐसा लगता है कि वो घरेलू हिंसा जैसे बुरे दौर से गुजर चुकी है।

दरअसल, सौम्या ने फोटो के साथ कैप्शन लिखा- “8 साल पहले जब मैंने सीरियल नव्या किया था तब मैं 21 साल की थी। चाहती थी कि दुनिया प्यार पर विश्वास करे। प्यार से दुनिया को ठीक करना चाहा था। मेरा मानना था कि हर कोई प्यार लेने और प्यार करने का हकदार है। मैं अपने ही देश में थी। मैं अपने माता-पिता के साथ रहती थी, जिन्होंने मुझे हर बुराई से बचाया। मैं बड़ी हो गई हूँ। मैंने हिंसा देखी है। मैंने ड्रग्स (कोकीन वगैरह) को देखा है। मैंने घृणा देखी है। मैंने ईर्ष्या देखी है। मैंने अन्याय, भावनात्मक हेरफेर और शारीरिक शोषण देखा है। मैंने बुरे दिलों के साथ सुंदर चेहरे देखे हैं, जो लोग अच्छे दिखते हैं, लेकिन दिल और दिमाग से बीमार होते हैं।”

इसके साथ ही सौम्या ने लिखा कि नव्या करने के 8 साल बाद उनका मानना है कि प्रिंस चार्मिंग जैसा कॉन्सेप्ट बेकार है। लड़कियों को बस अपने दिल की सुनने की जरूरत है। उनकी खुशी किसी भी पुरुष पर निर्भर नहीं होनी चाहिए। वो कहती हैं कि आज वो बता सकती हैं कि ईमानदार होना महंगा, बेकार, दर्दनाक और बेवकूफी है। वहीं सौम्या ने नव्या सीरियल को सबसे सुंदर सपना बताया और कहा कि ये उनके जीवन के कुछ सबसे यादगार दिन थे, उन्हें कुछ दिनो के लिए इसे जीने का मौका मिला। इसके लिए वो हमेशा आभारी रहेंगी।

सौम्या ने अपने नए घर की चाबियों की एक तस्वीर नोट के साथ पोस्ट की थी, जिसमें उन्होंने अपने और अपने बेटे के बारे में लिखा है। इस पोस्ट से साफ हो जाता है कि सौम्या और उनके पति के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है और अपने पति से अलग हो चुकी है। इस बात की पुष्टि एक और पोस्ट करती है, जिसमें उन्होंने एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा, “उन्हें लगता है कि वे मेरे जीवन को कठिन बना रहे हैं, लेकिन वे नहीं जानते कि यह लड़की लंबे समय से खुश है, क्योंकि वह जानती है कि उसने बुरे वक्त को पीछे छोड़ दिया है और अब केवल अच्छाई उसके आसपास है। कभी-कभी संबंधों को तोड़ देना आपके लिए सबसे अच्छी बात होती है।” इस पोस्ट से जाहिर हो रहा है कि वो अपने बुरे दौर से बाहर निकल चुकी है और सौम्या ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से अपनी शादी की तस्वीरें भी डिलीट कर दी है।

चुनावी मौसम में बरस रहा सोना, EC की धरपकड़ में हाथ आई करोड़ों की नकदी

शुक्रवार (अप्रैल 6, 2019) को चुनाव आयोग के निगरानी दस्ते ने तमिलनाडु के कोयंबटूर में 146 किलो सोने की ईंटें जब्त की हैं। यह सोना पुलीकुलम के नज़दीक एक वैन से बिना वैध दस्तावेज़ों के बरामद किया गया है। खबरों की मानें तो अधिकारी इस मामले में अभी अधिक जानकारियों जुटाने का प्रयास कर रहे हैं।

लोकसभा चुनाव करीब होने के कारण इन दिनों चुनाव आयोग में काफ़ी सक्रियता देखने को मिल रही है। इस घटना से पूर्व भी चुनाव आयोग चेकिंग के दौरान जगह-जगह पैसा, शराब, और नशीले पदार्थ जब्त कर चुका है। याद दिला दें कि अभी कुछ दिन पहले चुनाव आयोग के फ्लाइंग स्क्वाड ने वाहन चैंकिंग के दौरान ₹2.10 करोड़ की नकदी जब्त की थी। ये पैसे वीसीके पार्टी के पूर्व सचिव के पास से बरामद किए गए थे।

वहीं, मंगलवार (अप्रैल 2, 2019) को तमिलनाडु के रामनाथपुरम में चेकिंग के दौरान फ्लाइंग स्क्वाड ने वाहन से ₹6,65,000 जब्त किए। इस मामले में भी इन पैसों को लेकर कोई वैध दस्तावेज़ नहीं पेश किए गए थे।

यहाँ बता दें कि भारी मात्रा में सोना पकड़ने का यह पहला मामला नहीं हैं। 1 अप्रैल को भी तमिलनाडु में 132 किलो सोना फ्लाइंग स्क्वाड द्वारा एक वैन से जब्त किया गया था जिसकी कीमत ₹40 करोड़ के करीब थी। हालाँकि बाद में अधिकारियों द्वारा इस बात की जानकारी दी गई थी कि यह सोना टी नगर की एक प्रमुख ज्वैलरी फर्म का है। इसके अलावा देश में महाराष्ट्र और हैदराबाद जैसे अन्य राज्यों में भी सोना और कई करोड़ धनराशि जब्त की जाने की घटनाएँ सामने आ रही हैं।

DRI ने रायगढ़ के न्हावा शेवा में 3 अप्रैल को हिंद टर्मिनल CFS पर रखे 5 कंटेनरों की जाँच की थी। इसमें DRI को 19 किलो की 162 सोने की ईंट बरामद हुई जिनकी कीमत ₹5.54 करोड़ है। इम्पोर्टर को गिरफ्तार कर लिया गया है। यह माल दुबई से यहाँ पहुँचा था।

इसके अलावा हैदराबाद पुलिस ने भी इस महीने ₹9.45 करोड़ की धनराशि, ₹9.15 लाख का सोना, 135 लीटर शराब, गाँजे और गुटके से भरे 11 बैग जब्त किए है।

अनोखी पहल: वोट डालिए और पेट्रोल भरवाने पर पाइये 50p प्रति ली की छूट

चुनाव आयोग के साथ हर पार्टी वोट डालने के लिए मतदाताओं को जागरूक करने में जुटी हुई है। इसी कड़ी में मतदाताओं को वोटिंग लिए प्रेरित करने हेतु अब पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन भी आगे आया है। इसके लिए पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने वोटिंग के दिन मतदान करने के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमत में छूट देने का ऐलान किया है। यानी, यदि आप मतदान के दिन वोट डालने के बाद पेट्रोल या डीजल भरवाते हैं, तो आपको पेट्रोल या डीजल के बिल में 50 पैसे प्रति लीटर की छूट दी जाएगी।

शुक्रवार (अप्रैल 5, 2019) को ऑल इंडिया पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन (AIPDA) ने अपने एक बयान में कहा, “हम मतदाताओं को वोटिंग के प्रति जागरूक करने के इरादे से ‘प्रमोट वोटिंग’ मुहिम शुरू कर रहे हैं, जिसके तहत वोट डालने पर 50 पैसे/लीटर की छूट मिलेगी। यह ऑफर इस मुहिम में हिस्सा लेने वाले पेट्रोल पंपों पर सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक उपलब्ध होगा। लाभ लेने के लिए ग्राहकों को अपनी उँगली पर लगे स्याही का निशान दिखाना होगा।”

AIPDA के अध्यक्ष अजय बंसल ने कहा कि वोटिंग के दिन हर ग्राहक 20 लीटर ईंधन पर छूट पा सकेगा। बंसल ने उम्मीद जताई है कि 58,000 डीलर सदस्यों में से लगभग 90 फीसदी लोग इस मुहिम में हिस्सा लेंगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस सब्सिडी का बोझ तेल कंपनियाँ नहीं बल्कि डीलर्स उठाएँगे। देश में आम चुनाव 11 अप्रैल से 19 मई तक 7 चरणों में होंगे और चुनाव परिणाम 23 मई को आएगा।

झारखंड में टूटा महागठबंधन, राजद और कॉन्ग्रेस दोनों ने चतरा से उतारे उम्मीदवार

लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर उठापटक जारी है। झारखंड में महागठबंधन के सहयोगी दलों के बीच घमासान कम होने का नाम नहीं ले रहा है। झारखंड में कॉन्ग्रेस और आरजेडी अब आमने-सामने दिख रही है। महागठबंधन में सीटों के बँटवारे के दौरान राजद के खाते में पलामू की सीट तो कॉन्ग्रेस के खाते में चतरा की सीट आई थी। राजद लगातार चतरा सीट पर लड़ने की बात कह रही थी, लेकिन कॉन्ग्रेस ने साफ कर दिया था कि इस सीट पर वो समझौता नहीं करने वाली है। मगर राजद ने पलामू के साथ-साथ चतरा से भी शुक्रवार (अप्रैल 5, 2019) को अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया जिसके बाद कॉन्ग्रेस ने भी देर शाम अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर दी।

चतरा सीट के लिए राजद उम्मीदवार सुभाष यादव के नामांकन दाखिल करने के वक्त मौजूद रहने के लिए तेजस्वी यहाँ पहुँचे थे। इस दौरान तेजस्वी ने एक सभा को संबोधित किया और साथ ही कॉन्ग्रेस से चतरा सीट से प्रत्याशी न उतारने की अपील की थी, लेकिन कॉन्ग्रेस ने राजद की अपील को दरकिनार करते हुए चतरा सीट से उम्मीदवार के तौर पर मनोज कुमार यादव के नाम का ऐलान कर दिया है। हालाँकि तेजस्वी ने यह भी कहा था कि अगर चतरा सीट पर कॉन्ग्रेस के साथ सहमति नहीं बनती है, तो इस सीट पर दोनों दलों के बीच दोस्ताना संंघर्ष होगा और कॉन्ग्रेस की तरफ से प्रत्याशी उतारने के बाद ये बात साफ हो गई है कि अब चतरा सीट पर फ्रेंडली फाइट देखने को मिलेगी।

चतरा संसदीय क्षेत्र से राजद प्रत्याशी सुभाष यादव के नामांकन के बाद जिला मुख्यालय स्थित जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में सभा का आयोजन किया गया। इस मौके पर बिहार विधानसभा के विधायक, झारखंड प्रदेश विधायक, झारखंड प्रदेश अध्यक्ष गौतम सागर राणा सहित कई नेताओं ने शिरकत की। इस मौके पर चतरा के पूर्व विधायक एवं झाविमो नेता सत्यनंद भोक्ता ने भी राजद का दामन थाम लिया। तेजस्वी यादव ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि देश और संविधान को बचाने के लिए भाजपा को हराना जरूरी है। उन्होंने कहा कि झारखंड में महागठबंधन मजबूत है, मगर इसके साथ ही उन्होंने यह भी कह दिया कि अगर कोई गठबंधन तोड़कर, पार्टी छोड़कर जाना चाहता है, तो उसे बाँधकर नहीं रखा जा सकता।

गौरतलब है कि महागठबंधन के बीच सीट बँटवारे के फार्मूले के मुताबिक, कॉन्ग्रेस को 7 सीटें, झामुमो को 4 जबकि झारखण्ड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) को 2 सीटें और राजद को 1 सीट दी गई थी।

PIB MEME भाग-2 : रामाधीर सिंह ने वोटर्स से कहा ‘तुमसे हो जाएगा बेटा’

PIB सोशल मीडिया के माध्यम से MEME बनाकर जनता से मतदान करने का सन्देश दे रहा है। PIB कुछ दिन पहले ही सोशल मीडिया पर MEME के द्वारा युवाओं से मतदान के दिन मोबाइल पर PUBG खेलने की जगह मतदान करने का निर्देश देने की अपील करते देखा गया। 

वोटर्स को जागरूक करने की इस पहल में PIB ने कुछ और MEMES जारी किए हैं। PIB ने इस बार गैंग्स ऑफ़ वासेपुर से लेकर दिलवाले दुल्हनिया ले जाएँगे और बॉर्डर फिल्म के दृश्यों का इस्तेमाल किया है।

रामाधीर सिंह कह रहे हैं कि इस बार आप वोट देने जा रहे हो तो आपके लच्छन ठीक हैं
मथुरादास एक बार फिर बहाना बना ही रहा था कि सन्नी पाजी ने क्लास लगा दी। तुम भी मतदान के दिन बहना मत बनाना बच्चू वरना ढाई किलो का हाथ उठ जाएगा
अगर सिमरन के घरवालों को मनाना है, तो इस बार वोट कर आइए और सिमरन के पापा की नजरों में बन जाओ ‘रेस्पोंसिबल’

PIB की मतदान के लिए ये पहल अच्छी और एकदम रोचक है और युवाओं द्वारा सोशल मीडिया पर इन्हें खूब शेयर किया जा रहा है। क्रिएटिव कामों को देखकर अचानक ही मुँह से निकल पड़ता है ‘वाह मोदी जी वाह’।

इन 600 टुटपुंजिया कलाकारों का निशाना भी पुलवामा फिदायीन की तरह हिंदुत्व ही है

लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान में अब कुछ ही दिन बाकी हैं। भाजपा और मोदी सरकार को रोकने के लिए विपक्ष से लेकर अवार्ड वापसी गैंग और नेहरुवियन सभ्यता के तमाम बड़े और छोटे समुदाय मैदान में उतरकर अपनी एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।

इस बार के आम चुनावों की ख़ास बात ये है कि लोकतंत्र के इस त्यौहार में इतनी बड़ी मात्रा में और बढ़-चढ़कर शायद ही आज़ादी के इतने वर्षों तक किसी ने भागीदारी और दिलचस्पी दिखाई हो। यह मोदी सरकार की सबसे बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा सकता है कि तमाम ऐसे लोग, जिनके चेहरे और नाम तक लोग भूल चुके थे, उन्हें भी दोबारा से कैमरा, न्यूज़ और व्यूज में सफलतापूर्वक जगह मिली है, फिर चाहे अपने अस्त हो चुके फ़िल्मी करियर के बाद राजनीति के द्वारा रोजगार ढूँढती हुई उर्मिला मातोंडकर हो या फिर एक के बाद एक फ़्लॉप फिल्मों के कारण बदहवास स्थिति में घूमते नसीरुद्दीन शाह हों।

हिन्दू धर्म को सबसे ज्यादा उग्र बताकर उर्मिला मातोंडकर ने भी राजनीति के खानदान विशेष की नजरों में एक बार में ही अच्छी रैंक हासिल कर ली है, उनके इस बयान के बाद अब और भी TV स्क्रीन पर आने के मौके मीडिया गिरोह द्वारा दिए जाएँगे। इस लिस्ट में सबसे अच्छी पहचान नसीरुद्दीन शाह ने हासिल की है और इस बार मोदी के खिलाफ वोट करने की अपील करने के लिए इन 600 गुमनाम कलाकारों को ढूँढकर लाने की जिम्मेदारी भी विपक्ष ने नसीरुद्दीन शाह को ही सौंपी है।

अभिव्यक्ति की आजादी को मोहरा बनाकर हर दूसरे दिन खुलेआम हिन्दू धर्म और भारत की सहिष्णुता को बदनाम करने वाले नसीरुद्दीन शाह ने जमकर लहरिया लूटी है। उन्हीं के क़दमों पर चलते हुए इन पिछले 5 सालों में असहिष्णुता के दीवाने कई क्रांतिकारियों ने जन्म लिया, जो किसी ना किसी तरह से बेरोजगारी और गुमनामी की मार झेल रहे थे। इसलिए अभिव्यक्ति और असहिष्णुता का कारोबार खूब बिका है।  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर आजकल एक नई सनसनी के जरिए ये गुमनाम कलाकार लोगों का ध्यान खींचने में एक बार दुबारा सफल हुए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अमोल पालेकर, नसीरुद्दीन शाह, गिरीश कर्नाड और उषा गांगुली सहित 600 से अधिक थिएटर हस्तियों ने एक पत्र पर हस्ताक्षर करके लोगों को ‘भाजपा और उसके सहयोगियों’ को सत्ता से बाहर करने के लिए कहा है।

इस पत्र में कहा गया है कि भारत और उसके संविधान का विचार खतरे में है। आर्टिस्ट यूनाइट इंडिया वेबसाइट पर बृहस्पतिवार शाम (मार्च 04,2019) को 12 भाषाओं में यह पत्र जारी किया गया है। इसमें लिखा है कि आगामी लोकसभा चुनाव देश के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण है और बीजेपी ने हिंदुत्व के गुंडों को नफरत और हिंसा की राजनीति करने के लिए स्वतंत्र कर दिया है

पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में शांता गोखले, महेश एलकुंचवार, महेश दत्तानी, अरुंधति नाग, कीर्ति जैन, अभिषेक मजुमदार, कोंकणा सेन शर्मा, रत्ना पाठक शाह, लिलेट दुबे, मीता वशिष्ठ, एम के रैना, मकरंद देशपांडे और अनुराग कश्यप शामिल हैं। इनमें लगभग 600 लोग ऐसे हैं, जिन्हें शायद ही कोई ठीक से जानता होगा।

मजे की बात है कि इन 600 में से 599 नाम के अलावा सिर्फ नसीरुद्दीन शाह ही अकेला ऐसा व्यक्ति है, जो वक़्त-बेवक़्त अपनी उल-जुलूल बयानबाजी और फ़्लॉप फिल्मों के रिकॉर्ड की वजह से चर्चा में बने रहने में सफल रहे हैं।

अगर बारीकी से देखा जाए तो इन 600 कलाकारों की वर्तमान हक़ीक़त भी शायद उसी नयनतारा सहगल जैसी है, जिसके जीवन की कुल अचीवमेंट कश्मीर समस्या के मुख्य अभियुक्त जवाहरलाल नेहरू की बहन विजयालक्ष्मी पंडित की बेटी होना है और दूसरा इसी पहचान के कारण साहित्य अकादमी पुरस्कार पाना है। लेकिन दुखद बात ये कि वो उस पुरस्कार को भी अब लौटा चुकी हैं।

एक संयुक्त बयान में इन गुमनाम और चर्चा में आने के शौक़ीन 600 कलाकारों का मानना है कि आज भारत का विचार खतरे में है। बात सही भी है, हो सकता है कि ‘भारत का विचार’ से उनका तात्पर्य अपने पसंदीदा खानदान के युवराज राहुल गाँधी से हो और उनको सत्ता में देखना हो। वास्तविकता ये है कि ये सदियों से सत्ता में बैठा खानदान इनका आसमान बन चुका है और इसके सरक जाने के कारण ही ये सब गिरोह बौखला रहे हैं।

इन 600 कलाकारों को मनचाहे पद और पुरस्कार देने वाले लोग अब संसद में मात्र 45 की संख्या में सिमट गए हैं। आज सत्तापरस्त और राजनीति के इस खानदान विशेष की हालात ये है कि अपने अस्तित्व को बचाने के लिए ये अपने पारम्परिक अमेठी से दक्षिण की ओर अपना सेफ जोन तलाशने निकले हैं। इसलिए इनके ‘लोकतंत्र  और संविधान ’ का खतरे में होना स्वाभाविक है। मोदी सरकार द्वारा जिन संस्थानों का ‘दम घोंटे’ जाने का जिक्र ये 600 लोगों का बेरोजगार समूह कर रहा है, वो संस्थान, कॉन्ग्रेस कार्यालय और राजमाता सोनिया गाँधी का कार्यालय हो सकता है।

इन सबसे ऊपर इन 600 खलिहर लोगों ने जो बात अपने पत्र में लिखी है वो है ‘हिंदुत्व के गुंडों’ का वर्णन! गुमनामी में जी रहे इन 600 लोगों ने भी सस्ती लोकप्रियता के लिए वही विधि अपनाई है, जो पुलवामा आतंकी हमले में समुदाय विशेष के उस भटके हुए फिदायीन ने अपनाई थी, यानि हिंदुत्व पर हमला! विपक्ष ने हमेशा से ही अल्पसंख्यकों के वोट को रिझाने के लिए हिन्दुओं को आतंकवाद और गुंडागिर्दी से जोड़ने का आसान तरीका अपनाया है। इन 5 सालों में देखा गया है कि कोई ना कोई भटका हुआ व्यक्ति हिंदुत्व को उग्र संगठन और हिंसक धर्म की पहचान देने की पुरजोर कोशिशें करता नजर आया है।

इन 600 लोगों ने कहा है कि विकास के वादे के साथ पाँच साल पहले सत्ता में आई बीजेपी ने हिंदुत्व के गुंडों को नफरत और हिंसा की राजनीति करने के लिए स्वतंत्र कर दिया है। यही वजह है कि हम अपील करते हैं कि लोग संविधान, धर्मनिरपेक्ष लोकाचार की रक्षा करने और कट्टरता, घृणा और सत्ता से बाहर कुछ न सोचने वालों के खिलाफ वोट करें।

शायद इस पत्र को लिखने से पहले इन बेरोजगार कलाकारों को ये ध्यान नहीं रहा कि इनके अन्नदाता राहुल गाँधी जनेऊ और मानसरोवर की फोटोशॉप यात्राओं द्वारा हिन्दुओं के बीच अपनी छवि बनाने का प्रयास कर रहे हैं। या फिर ये भी हो सकता है कि अपने मालिकों द्वारा मुस्लिम लीग के साथ हुई नवीन सांठगांठ ने ही इन कलाकारों को यह बात कहने का हौंसला दिया हो।

पश्चिम बंगाल से लेकर केरल में, सम्पूर्ण उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक में जबरन धर्म परिवर्तन से लेकर हिन्दू नाबालिग लड़कियों के अपहरण और हिन्दूओं के खुलेआम निर्मम हत्या किए जाने तक पर मौन धारण कर लेने वाला मीडिया गिरोह पाकिस्तान जैसे देश के प्रति अपनी ममता और करुणा उड़ेलता देखा गया है। हर दूसरी आतंकवादी घटना, हिंसक गतिविधि, क़त्ल, अपहरण, बलात्कार में हिन्दुओं को शिकार बनाया जाता रहा है, लेकिन फिर भी हिन्दुओं को हिंसक बताना नया फैशन बनकर उभरा है। इन पाकिस्तान परस्तों ने भी इस मामले में पाकिस्तान की ही ‘बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा’ वाली रणनीति को अपनाया है।

अगर देखा जाए तो वास्तव में हिन्दुओं को इस देश में इस तरह के बयान देने चाहिए, लेकिन हक़ीक़त एकदम उलट है। हिन्दुओं को इस देश में एक अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा पीड़ित किया जाता रहा है, उनकी आस्थाओं को हर दूसरे दिन अपमानित करने वाले वो लोग हैं, जिन्हें इस देश ने अल्पसंख्यक होने के नाम पर खुली छूट दी है और अन्य की तुलना में ज्यादा अधिकार दिए हैं। हिन्दुओं के अधिकारों पर बात करना आपको सांप्रदायिक बना देता है, अपनी पहचान हिन्दू बताने पर आपको उग्र घोषित कर दिया जाता है।

खैर, दिल को खुश रखने को ग़ालिब ये ख़याल अच्छा है। अगर हिन्दुओं को हिंसक बताकर और मोदी के खिलाफ वोट करने की अपील से इन 600 गुमनामी में जी रहे कलाकारों को कुछ पहचान और सस्ती लोकप्रियता मिलती है, तो इन्हें अवश्य इस तरह के दो-चार और बयान देकर अपनी रोजी रोटी का जुगाड़ करना चाहिए। वैसे भी मोदी सरकार के दौरान अभिव्यक्ति की आजादी का जितना फायदा इन भटके हुए कलाकारों ने उठाया है, उतना शायद रोजाना TV चैनल पर आकर बागों में बहार है जैसे सवाल पूछ्कर TRP का रोना रोने वाले और फेसबुक पर TV ना देखने की अपील करने वाले व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी के कुलपति ने भी नहीं उठाया होगा।

‘न मुस्लिमों के लिए कुछ किया न हिन्दुओं के लिए करूँगा’, PM मोदी ने ऐसा क्यों कहा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एबीपी को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कई महत्वपूर्ण बातें की इसमें उन्होंने हिन्दुस्तान के मुस्लिमो से अपने रिश्ते के एक सवाल के जवाब में कहा कि केंद्र की जितनी भी लाभकारी योजनाएँ चल रही हैं वो सभी सबका साथ, सबका विकास के मंत्र पर चल रही हैं।

ख़बर के अनुसार, पीएम मोदी ने कहा कि मुस्लिमों की स्थिति के आकलन के लिए सच्चर कमेटी गठित की गई थी, उस वक़्त वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे, इसके बाद जब सच्चर कमेटी गुजरात पहुँची तो पीएम मोदी से सवाल पूछा गया कि उन्होंने उस समय मुस्लिमों के लिए क्या किया? इसके जवाब में पीएम मोदी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि गुजरात के मुस्लिमों के लिए कुछ नहीं किया और न ही कुछ करेंगे, इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने हिन्दुओं के लिए भी कुछ नहीं किया और न ही कुछ करेंगे।

अपनी इस बात पर प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि उनके द्वारा सच्चर कमेटी को बताया गया कि उनकी सरकार का लक्ष्य गुजरात के एक-एक परिवार के लिए योजना बनाना है। एक-एक परिवार का विकास करने के लिए उनकी सरकार योजनाएँ बनाती है। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि कोई भी योजना किसी जाति विशेष के लिए नहीं बननी चाहिए।

पीएम मोदी ने अपने साक्षात्कार में यह संदेश देने की पूरी कोशिश की है कि वो कभी हिन्दू और दूसरे समुदाय में कोई भेद नहीं रखते और शासन का यह काम बिल्कुल नहीं होना चाहिए कि वो देश को जाति और वर्ग में बाँटे। इसीलिए केंद्र सरकार अपने मूल मंत्र सबका साथ, सबका विकास के तहत काम कर रही है और आगे भी करती रहेगी।